Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शादियों में बर्तन धोते हैं माता-पिता, खुद फैक्ट्री में मजदूरी करता है छात्र; नीट परीक्षा क्रैक कर रचा इतिहास

    राजस्थान के बालोतरा के श्रवण कुमार ने नीट परीक्षा पास की। ओबीसी वर्ग में 4071 रैंक प्राप्त करने वाले श्रवण एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं और उनके माता-पिता बर्तन धोकर व पशु चराकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। 2022 में गाँव में बिजली आने और माँ को स्मार्टफोन मिलने से श्रवण को प्रेरणा मिली।

    By Digital Desk Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Sun, 15 Jun 2025 08:48 PM (IST)
    Hero Image
    श्रवण कुमार के माता-पिता शादियों में बर्तन धुलते हैं (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कहते हैं अगर सपनों को पूरा करने की जिद हो, तो उसके सामने दुनिया की सारी कठिनाइयां छोटी पड़ जाती हैं। एक ऐसी ही कहानी राजस्थान के बालोतरा के रहने वाले श्रवण कुमार की है। श्रवण कुमार ने नीट की परीक्षा पास कर ली है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    19 साल के श्रवण कुमार एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं। वह अपने माता-पिता के साथ दो कमरों के मिट्टी से बने घर में रहते हैं। घर का जरूरतें श्रवण को मिलने वाली मजदूरी से पूरी नहीं हो पातीं, इसलिए उनके माता-पिता शादियों में बर्तन धुलते हैं और लोगों के पशु चराते हैं।

    फैक्ट्री में मजदूरी कर रहे थे श्रवण

    श्रवण कुमार को नीट में ओबीसी कैटेगरी में 4071 रैंक मिली है। इस रैंक पर उन्हें राजस्थान के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आसानी से दाखिला मिल जाएगा। जब नीट के नतीजे घोषित हुए, तब श्रवण फैक्ट्री में मजदूरी कर रहे थे। रिजल्ट की खबर मिलते ही उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

    एक वक्त था कि जब पढ़ाई में होनहार होने के बावजूद श्रवण कुमार ने 12वीं के आगे की पढ़ाई नहीं करने का फैसला किया था। लेकिन अभाव में पले-बढ़े श्रवण कुमार की जिंदगी तब पलटी, जब 2022 के अंत में उनके गांव में बिजली आई और राज्य सरकार की एक योजना के तहत उनकी मां को इंटरनेट एक्सेस के साथ स्मार्टफोन मिला।

    ग्रामीण इलाकों में करना चाहते हैं सेवा

    • श्रवण कुमार ने यहीं से नीट को अपनी जिंदी का ध्येय बना लिया। बाड़मेर के सरकारी डॉक्टरों का एक ग्रुप गरीब बच्चों को नीट की मुफ्त कोचिंग कराता है। इससे श्रवण कुमार भी लाभान्वित हुए। उनका कहना है कि वह डॉक्टर बनकर दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में सेवा करना चाहते हैं।
    • श्रवण कुमार ने कहा कि वह अपने माता-पिता को घंटों बर्तन साफ करते नहीं देख पाते। उन्होंने कहा कि कमाना शुरू करते ही वह सबसे पहले एक पक्का मकान बनवाएंगे और अपने माता-पिता को बर्तन धुलने का काम छोड़ने के लिए कहेंगे। अभी श्रवण कुमार के पिता के लिए बड़ी समस्या फीस की है। उनका कहना है कि वह बच्चे की पढ़ाई के लिए गाय और बकरियां बेच देंगे।

    यह भी पढ़ें: हिमाचल में NEET टॉपर नहीं करेगा मेडिकल की पढ़ाई, वजह जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान