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    Rajasthan: विश्नोई समाज को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करने की सिफारिश, गहलोत सरकार ने आयोग को लिखा पत्र

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Sun, 28 Mar 2021 05:10 PM (IST)

    Rajasthan राजस्थान में अभी ओबीसी की राज्य सूची में 91 जातियां हैं इनमें से कई जातियां केंद्रीय सूची में शामिल हैं। प्रदेश विश्नोई जाति ओबीसी में शामिल है। जनवरी 2000 में विश्नोई जाति को राज्य ओबीसी की सूची में 60वें नंबर पर शामिल किया गया था।

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    विश्नोई समाज को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करने की सिफारिश। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान सरकार ने विश्नोई जाति को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल कराने को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को सिफारिश भेजी है। प्रदेश के सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग को ओर से इस संबंध में सिफारिशी पत्र दस्तावेजों के साथ आयोग को भेजा गया है। राजस्थान में अभी ओबीसी की राज्य सूची में 91 जातियां हैं, इनमें से कई जातियां केंद्रीय सूची में शामिल हैं। प्रदेश विश्नोई जाति ओबीसी में शामिल है। जनवरी, 2000 में विश्नोई जाति को राज्य ओबीसी की सूची में 60वें नंबर पर शामिल किया गया था। विश्नोई जाति को प्रदेश में तो ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल रहा है, लेकिन केंद्रीय सेवाओं में इसका फायदा नहीं मिल रहा। विश्नोई जाति अभी ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल नहीं है।

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    दरअसल,ओबीसी की राज्य सूची में शामिल जातियों को केवल उसी राज्य में आरक्षण का लाभ मिल सकता है। ओबीसी की केंद्रीय सूची में किसी जाति को तभी शामिल किया किया जा सकता है, जब राज्य सरकार ओबीसी आयोग को सिफारिश करें। उसके बाद आयोग पात्रता की जांच कर अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को करता है। उसके बाद कोई जाति केंद्रीय ओबीसी की सूची में शामिल की जाती है। इसके लिए लंबी प्रक्रिया है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों हरियाणा के वरिष्ठ नेता कुलदीप विश्नोई की अगुवाई में राजस्थान के विभिन्न दलों के विधायक और नेता इस संबंध में मुख्यमंत्री से मिले थे। उन्होनें सीएम से कहा था कि राज्य सरकार ओबीसी आयोग को सिफारिशी पत्र जल्द भेजे। राजस्थान के करीब ढ़ाई दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में विश्नोई जाति का प्रभाव है। यह एक बड़ा वोट बैंक है।

    गौरतलब है कि राजस्थान के उद्योग विभाग का नाम अब उद्योग व वाणिज्य विभाग होगा। नाम बदले जाने को लेकर विभाग के प्रस्ताव को शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंजूरी दी है। अधिकारियों के पदनाम भी अब अधिकारियों के नाम से बदल जाएंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालो में उधोग विभाग व इससे जुड़े जिला उद्योग केंद्रों की कार्यप्रणाली में बदलाव हुआ है। इनके कामकाज का दायरा भी बढ़ गया है। लघु, मध्यम, वृहद व सुक्ष्म उद्योगों के विकास के साथ-साथ सेवा क्षेत्र व वाणिज्यिक क्षेत्र की गतिविधियों का विकास भी इस विभाग के कार्यकलापों एवं गतिविधियों में शामिल हो गया है। केंद्र सरकार सहित 18 राज्यों में भी संबंधित विभाग का नाम उद्योग व वाणिज्य ही है। इसी क्रम में राजस्थान सरकार ने विभाग का नाम बदला है। राज्य व केंद्र के संबंधित विभागों के नाम में एकरूपता होने से प्रदेश में वाणिज्यक व निर्यात संबधित गतिविधियों के विस्तार के काम में अधिक गति आएगी। केंद्र सरकार की योजनाओं व कार्यक्रमों का बेहतर प्रचार-प्रसार हो सकेगा। इस निर्णय से प्रदेश में निर्यात संवर्धन, वाणिज्यक गतिविधियों, सेवा क्षेत्रों व इनके उप क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा । इसके साथ ही प्रदेश में रोजगार के अधिक अवसर सृजित होंगे।