MP Political Crisis: पांच राज्यों के विधायकों को राजनीतिक पर्यटन करा चुका है राजस्थान
MP Political Crisis. अब तक राजस्थान देश के पांच राज्यों की सरकारों के राजनीतिक संकट का केंद्र बन चुका है।
मनीष गोधा, जयपुर। MP Political Crisis. वैसे तो पूरे देश में राजस्थान पर्यटन का बडा केंद्र है और देश-दुनिया के लाखों पर्यटक हर वर्ष यहां आते हैं, लेकिन 2005 के बाद से राजस्थान राजनीतिक पर्यटन का भी बड़ा केंद्र बना हुआ है। अब तक राजस्थान देश के पांच राज्यों की सरकारों के राजनीतिक संकट का केंद्र बन चुका है। यहां 2003 से अब तक झारखंड, गोवा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और अब मध्य प्रदेश के विधायक अपने सरकारों को बचाने या बनाने के लिए राजनीतिक पर्यटन कर चुके हैं। भाजपा ने तीन बार और कांग्रेस ने दो बार अपने विधायकों को राजस्थान की खातिरदारी करवाई है।
राजस्थान में इस सिलसिले की शुरुआत 2003 से 2008 के बीच भाजपा की सरकार के समय हुई थी। उस समय वसुंधरा राजे पहली बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी थीं और उस समय राजनीतिक रूप से बेहद अस्थिर माने जाने वाले दो प्रदेशों गोवा और झारखंड के विधायक राजस्थान आए थे। गोवा में उस समय भाजपा को सरकार बनाने का दावा पेश करना था, इसलिए विधायकों को यहां भेजा गया था और झारखंड में भाजपा के अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली सरकार बचानी थी, इसलिए विधायक यहां भेजे गए थे।
इनके साथ कुछ निर्दलीय विधायक भी थे। झारखंड के विधायक दो बार आए थे और जब सरकार बच गई तो अजमेर दरगाह पर जियारत करने भी आए थे। इन्हें उस समय जयपुर के पास अजमेर रोड स्थित सनराइज रिसोर्ट में ठहराया गया था। राजस्थान ने विधायकों की ऐसी घेराबंदी पहली बार देखी थी।
उस समय कांग्रेस आरोप लगाती थी कि भाजपा ने राजस्थान को विधायकों की खरीद-फरोख्त का अड्डा बना दिया है।
इसके बाद दूसरी तीसरी बार यह मौका आया 2016 में, जब उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार संकट में आई। उस समय भाजपा के 27 विधायक दो समूहों में जयपुर भेजे गए और उन्हें यहां एक होटल तथा फार्महाउस में ठहरा कर खातिरदारी की गई।
चौथी बार यह मौका 2019 में आया, जब महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस की सरकार बननी थी। उस समय महाराष्ट्र के 44 विधायक जयपुर आए थे। इन्हें उसी ब्यूना विस्ता होटल में ठहराया गया था, जहां अभी मध्य प्रदेश के विधायक आराम कर रहे हैं। पांचवीं बार यह मौका अब आया है जब मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक जयपुर आए हैं और इन्हें जयपुर के नजदीक दो होटलों ब्यूना विस्ता और ट्री हाउस में ठहराया गया है।
दिल्ली से नजदीकी है बड़ा कारण
राजस्थान पर्यटन का बड़ा केंद्र होने के कारण यहां अच्छे होटल और रिसॉर्ट तो हैं ही। साथ ही, दिल्ली से नजदीकी भी इसके राजनीतिक पर्यटन का केंद्र बनने के पीछे बड़ा कारण है। यह सारा काम आलाकमान के निर्देश पर होता है और आलाकमान के नेताओं को यहां आना सुविधाजनक लगता है। सड़क मार्ग से दिल्ली से तीन से चार घंटे में जयपुर पहुंचा जा सकता है। इन विधायको की पूरी व्यवस्था मुख्यमंत्री के नजदीकी नेताओं के हाथ में रहती है। वसुंधरा राजे के समय यह जिम्मेदारी मुख्य तौर पर राजेन्द्र राठौड और युनूस खान के पास रहती थी, वहीं अभी गहलोत के समय मुख्य सचेतक महेश जोशी यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

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