TMC की राज्यपाल बोस के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी, 7 सितंबर को मानसून सत्र का आखिरी दिन
संवैधानिक रूप से राज्यपाल बोस विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद संभालते हैं। इसलिए उन्हें शिक्षा विभाग के संपर्क में रहना चाहिए। लेकिन पिछले फरवरी के बाद राज्यपाल की राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से कोई बातचीत नहीं हुई है। हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में राज्यपाल से मिलने के लिए दो बार राजभवन का पहुंची थी लेकिन राज्य सरकार-राज्यपाल टकराव का समाधान नहीं हुआ है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। अगले गुरुवार को विधानसभा के मानसून सत्र का आखिरी दिन है। उस दिन पश्चिम बंगाल दिवस पर चर्चा होनी है। उस चर्चा में तृणमूल और भाजपा विधायक भाग लेंगे। अब तक यह कार्यक्रम लगभग तैयार है, लेकिन जिस तरह से राज्यपाल का शिक्षा विभाग से सीधा टकराव चल रहा है, विधानसभा में ऐसा बोस के खिलाफ प्रस्ताव लाने की बातें तेज हो गई हैं।
तृणमूल विधायक दल को इस मुद्दे पर खुलकर बोलने पर लगाई गई रोक
हाल ही में राज्यपाल के व्यवहार से नाराज तृणमूल नेतृत्व ने इस बात पर गौर किया है कि क्या उनके खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाया जा सकता है। विधानसभा सूत्रों के मुताबिक, तृणमूल विधायक दल को इस मुद्दे पर खुलकर बोलने पर रोक लगा दी गई है। हालांकि, जब पिछले जुलाई में मानसून सत्र शुरू हुआ, तो तृणमूल विधायक दल का एक वर्ग राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव लाना चाहता था, लेकिन अंत में शीर्ष नेतृत्व के सहमत नहीं होने के कारण विधानसभा में राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव नहीं लाया गया। परंतु, मौजूदा हालात में माना जा रहा है कि राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा सकता है।
फरवरी से राज्यपाल की राज्य के शिक्षा मंत्री से नहीं हुई बातचीत
संवैधानिक रूप से राज्यपाल बोस विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद संभालते हैं। इसलिए उन्हें शिक्षा विभाग के संपर्क में रहना चाहिए। लेकिन पिछले फरवरी के बाद राज्यपाल की राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से कोई बातचीत नहीं हुई है। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में राज्यपाल से मिलने के लिए दो बार राजभवन का पहुंची थी, लेकिन राज्य सरकार-राज्यपाल टकराव का समाधान नहीं हुआ है।
राज्यपाल का यह कदम
वहीं, राज्यपाल बोस ने 16 विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति की है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने इनमें से 14 विश्वविद्यालयों के कुलपति के तौर पर खुद जिम्मेदारी संभाली थी। राजभवन के सूत्रों के मुताबिक, रविवार रात उन्होंने उन 14 विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों को नामित किया। राज्यपाल के इस कदम से राजभवन और नवान्न(राज्य सचिवालय) के बीच दूरी बढ़ गई है।
कई मुद्दों पर चल रहा है टकराव
राज्य सरकार ने राज्यपाल को विश्वविद्यालय के कुलपति पद से हटाकर मुख्यमंत्री स्थापित करने के लिए जगदीप धनखड़ जब राज्यपाल थे तो कई विधेयक पारित किया गया था। बाद में वे देश के उपराष्ट्रपति बन गए। कार्यवाहक गवर्नर ला गणेशा ने भी विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए। वहीं बोस ने उस बिल के साथ हावड़ा नगर पालिका के एक संशोधन बिल पर भी हस्ताक्षर नहीं किया, जिससे राज्य सरकार का गुस्सा बढ़ गया और इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नवान्न ने 88 कैदियों को रिहा करने के लिए
क्या है भाजपा विधायक दल का कहना?
राजभवन के नाम की सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपाल ने इस पर सहमति जताने के बजाय राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (जेल) को तलब कर लिया था। ऐसी रस्साकसी के कारण अंत में कैदी को रिहा नहीं किया जा सका। एक के बाद एक टकराव के चलते सत्ता पक्ष इस बार विधानसभा में राज्यपाल बोस के खिलाफ प्रस्ताव लाने का मन बना लिया है और जब ऐसा कोई प्रस्ताव आएगा तो वे क्या करेंगे? इस सवाल के जवाब में भाजपा विधायक दल का कहना है कि जब सरकार आधिकारिक तौर पर प्रस्ताव की घोषणा करेगी तब हम अपनी स्थिति बताएंगे।
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