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    Ajmer Sharif Dargah: मुस्लिम पक्ष पक्षकार ही नहीं, अजमेर शरीफ दरगाह विवाद पर कोर्ट ने आखिर किसको भेजा नोटिस?

    Updated: Fri, 29 Nov 2024 03:42 PM (IST)

    अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर सिविल कोर्ट ने केंद्र सरकार के तीन विभागों को नोटिस जारी किया है। अब केंद्र सरकार के इन विभागों को जवाब दाखिल करना होगा। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने वाद दायर किया है। उन्होंने दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया है।

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    Ajmer Sharif Dargah: अजमेर शरीफ दरगाह विवाद।

    जेएनएन, अजमेर। अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे के संबंध में दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने कहा कि यह सस्ती लोकप्रियता के अलावा कुछ भी नहीं। दीवान ने कहा कि 850 साल से दरगाह में शिव मंदिर होने की बात नहीं उठी तो अब ऐसा क्या हुआ? कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए अदालतों में मामले को उलझा रहे हैं। उधर, अदालत ने केंद्र सरकार के तीन विभागों को नोटिस जारी किया है। इस मामले में मुस्लिम पक्ष को पक्षकार नहीं बनाया है।

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    दीवान आबेदीन ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की ओर से संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार समय-समय पर ख्वाजा साहब की मजार पर चादर पेश करते रहे हैं। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पिछले 11 वर्षों से ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में देश की परंपरा के अनुरूप मजार शरीफ पर चादर पेश करवा रहे हैं।

    देश के अधिकांश राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल व अन्य नेता भी दरगाह में आकर जियारत करते रहे हैं। ख्वाजा साहब का इतिहास 850 वर्ष पुराना है। वे स्वयं भी ख्वाजा साहब के परिवार से संबंध रखते हैं और परिवार परंपरागत तौर पर दीवान बनता आ रहा है।

    दरगाह का अंतरराष्ट्रीय महत्व

    आज तक भी दरगाह में मंदिर होने की बात नहीं उठी। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए अदालतों में मामले को उलझा रहे हैं। अदालतों का भी इस मामले में देश के कानून के प्रावधानों का ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह का अंतरराष्ट्रीय महत्व है। दरगाह में होने वाली हर गतिविधि का असर दुनिया भर में पड़ता है।

    20 दिसंबर को अगली सुनवाई

    मालूम हो कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वाद पर अजमेर में सिविल अदालत ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय और उसके काम करने वाली दरगाह कमेटी के साथ साथ भारतीय पुरातत्व विभाग को नोटिस जारी किए हैं। गुप्ता ने वाद में ही दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। अब इस मामले में 20 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी।

    मुस्लिम पक्ष को पक्षकार नहीं बनाया

    सिविल अदालत ने जो तीन विभागों को नोटिस जारी किए हैं, वह तीनों केंद्र सरकार से संबंधित है। ख्वाजा साहब की दरगाह में धार्मिक दृष्टि से खादिमों और दीवान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दरगाह की सभी धार्मिक रस्में इन दोनों पक्षों के द्वारा ही संपन्न करवाई जाती है, लेकिन इन दोनों महत्वपूर्ण पक्षों को पक्षकार नहीं बनाया गया है।

    ऐसे में मंदिर होने के दावे के संबंध में जवाब देने की सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की हो गई है। दरगाह के खादिम समुदाय ने द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का भी हवाला दिया है। इसमें अयोध्या के प्रकरण को छोड़कर अन्य सभी धार्मिक स्थलों पर 1947 वाली स्थिति को बनाए रखने की बात कही गई है। ऐसे में सिविल अदालत द्वारा जारी नोटिस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

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