'कफ सिरप में कोई खराबी नहीं', फार्मा कंपनी की दवाओं पर क्यों लगा प्रतिबंध? स्वास्थ्य मंत्री ने बताया
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खिमसर ने कहा कि जिस कफ सिरप से तीन बच्चों की मौत हुई वह सुरक्षित है। दो जांचों में दवा दोषपूर्ण नहीं पाई गई। मंत्री ने दावा किया कि बच्चों को उनके माता-पिता ने बिना डॉक्टरी सलाह के कफ सिरप दिया था जिसके हानिकारक प्रभाव हुए। उन्होंने केसन्स फार्मा को क्लीन चिट दिए जाने की बात कही।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खिमसर ने शनिवार को दोहराया कि जिस कफ सिरप के कारण राज्य में तीन बच्चों की मौत हुई है, वह सुरक्षित है और उसमें कोई खराबी नहीं है।
जोधपुर के सर्किट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री ने दावा किया, "हमने दवा की दो बार जांच करवाई। पहले हमारे ड्रग कंट्रोलर ने इसकी जांच की और फिर राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) ने। दोनों ही जांच रिपोर्टों में इसे दोषपूर्ण नहीं पाया गया।"
'घरवालों ने खुद दिया था कफ सिरप'
खिमसर ने दावा किया कि तीनों मृतक बच्चे सह-रुग्ण थे और उनके माता-पिता ने उन्हें डॉक्टरों द्वारा निर्धारित नहीं, बल्कि स्वयं ही कफ सिरप दिया था। उन्होंने कहा, "अगर हम बच्चों को वयस्कों के लिए निर्धारित दवा देंगे, तो जाहिर है कि उन पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।" उन्होंने आगे कहा कि दो साल का बच्चा इसे नहीं ले सकता।
फार्मा कंपनी को दी गई क्लीन चिट
बाद में प्रेस को जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि तीनों मौतों के मामलों में प्रारंभिक जांच से यह पुष्टि नहीं हुई कि दवा - डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड (DXM HBr)- किसी डॉक्टर द्वारा निर्धारित या दी गई थी। दवा की आपूर्ति करने वाली कंपनी, केसन्स फार्मा को क्लीन चिट दिए जाने पर खिमसर ने कहा कि रिपोर्ट साफ होने के बाद यह क्लीन चिट दी गई।
केसन्स फार्मा द्वारा उत्पादित 19 दवाओं पर प्रतिबंध और उसकी 40 दवाओं के गुणवत्ता परीक्षण में विफल होने के बारे में पूछे जाने पर खिमसर ने कहा कि यह एहतियात के तौर पर किया गया था। उन्होंने कहा कि कंपनी की सभी दवाओं की जांच के लिए एक दूसरी समिति गठित की गई है और आश्वासन दिया कि अगर लोगों को कोई संदेह है, तो सरकार किसी भी स्रोत से इन दवाओं की जांच के लिए तैयार है।
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