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    आखिर क्या है राजस्थान में भाजपा की हार का कारण? दो दिनों के मंथन के बाद केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई रिपोर्ट; कई नेताओं पर गिरी गाज

    Updated: Wed, 19 Jun 2024 10:30 PM (IST)

    लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 25 में से 11 सीटें हारने के लिए भाजपा मुख्य रूप से अपने ही नेताओं को जिम्मेदार मान रही है। दो दिनों तक चले मंथन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी प्रदेश चुनाव प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने बारी-बारी से सभी हारी हुई सीटों के जिला अध्यक्ष लोकसभा प्रभारी सांसद प्रत्याशी सहित तमाम पदाधिकारियों से विस्तृत चर्चा की।

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    लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 25 में से 11 सीटों पर हार के बाद भाजपा ने की मंथन। फोटोः @BJP4Rajasthan

    नरेंद्र शर्मा,जयपुर। लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 25 में से 11 सीटें हारने के लिए भाजपा मुख्य रूप से अपने ही नेताओं को जिम्मेदार मान रही है।

    हार के कारणों की हुई समीक्षा

     हार के कारणों की समीक्षा को लेकर शनिवार और रविवार को दो दिन प्रदेश मुख्यालय में हुए मंथन के बाद केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई रिपोर्ट में माना गया कि नेताओं की आपसी खींचतान, नेताओं व कार्यकर्ताओं के चुनाव में सक्रिय नहीं रहने, आधा दर्जन सीटों पर गलत टिकट वितरण, वरिष्ठ नेताओं के अपने निर्वाचन क्षेत्रों से बाहर नहीं निकलने, कांग्रेस की ओर से आरक्षण समाप्त करने को लेकर फैलाए गए भ्रम और भाजपा की ही एक प्रत्याशी द्वारा संविधान बदलने के लिए एनडीए को सत्ता में लाने को लेकर दिए गए बयान के कारण नुकसान हुआ।

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    क्या अग्निवीर योजना बनी हार का कारण?

    अग्निवीर योजना के कारण भी युवाओं ने भाजपा के प्रति नाराजगी दिखाई। समीक्षा में यह भी माना गया कि पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में कांग्रेसियों के भाजपा में शामिल होने से पार्टी के मूल कार्यकर्ता नाराज थे और उन्होंने चुनाव में मन से काम नहीं किया।

    हारी हुई सभी सीटों पर हुई चर्चा

    उल्लेखनीय है कि दो दिनों तक चले मंथन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, प्रदेश चुनाव प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने बारी-बारी से सभी हारी हुई सीटों के जिला अध्यक्ष, लोकसभा प्रभारी, सांसद प्रत्याशी सहित तमाम पदाधिकारियों से विस्तृत चर्चा की। यह सामने आया कि लगातार दो बार चुनाव जीतने के बावजूद चूरू के सांसद राहुल कस्वा का टिकट काटा गया। इससे जाट बहुल चूरू, सीकर व झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्रों में नुकसान हुआ।

    कई सांसदों ने नहीं किया घोषित प्रत्याशियों का सहयोग

    श्रीगंगानगर से पांच बार सांसद रहे निहालचंद मेघवाल का टिकट काटकर प्रियंका बैलान को प्रत्याशी बनाया गया। मेघवाल खेमे ने उनका सहयोग नहीं किया। जिन 10 सांसदों का टिकट काटा गया, उनमें नौ ने घोषित प्रत्याशियों का सहयोग नहीं किया। जयपुर सीट पर टिकट काटे जाने के बावजूद रामचरण बोहरा प्रत्याशी मंजू शर्मा के साथ रहे, लेकिन यहां जीत का अंतर पिछले तीन चुनाव से कम रहा।

    संविधान बदलने वाली बात ने डुबो दी नैया

    नागौर से प्रत्याशी ज्योति मिर्धा ने प्रचार के दौरान संविधान बदलने के लिए एनडीए की जीत जरूरी बताई तो कांग्रेस ने इस मुद्दे को जमकर प्रचारित किया, जिससे नुकसान हुआ। प्रदेशाध्यक्ष जोशी, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, गजेंद्र ¨सह शेखावत व कैलाश चौधरी पूरे चुनाव अभियान में अपने क्षेत्रों से बाहर नहीं निकल सके।

    पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला अपने क्षेत्र कोटा में इस तरह फंसकर रह गए कि निकट के लोकसभा क्षेत्र में भी सभा को संबोधित करने नहीं जा सके। यह भी कहा गया कि जोशी चुनाव लड़ रहे थे, संगठन महामंत्री का पद रिक्त है, ऐसे में संगठन को सक्रिय करने का काम किसी के हाथ में नहीं था।

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