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    'बापू और आंबेडकर की प्रतिमा को हटाना लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन', खरगे ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को लिखा पत्र

    By Agency Edited By: Sonu Gupta
    Updated: Wed, 19 Jun 2024 08:42 PM (IST)

    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर संसद भवन में महात्मा गांधी बीआर आंबेडकर और अन्य विभूतियों की प्रतिमाओं को दूसरे स्थान पर स्थापित किए जाने का कड़ा विरोध किया है । विपक्षी दल प्राय संसद परिसर में स्थित गांधी प्रतिमा और आंबेडकर प्रतिमा के स्थलों पर विरोध प्रदर्शन और पदयात्रा करते थे।

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    बापू और आंबेडकर की प्रतिमाएं मूल स्थान पर लाने को अड़े खरगे। फोटोः पीआईबी।

    पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) और राज्यसभा के सभापति (Chairperson of Rajya Sabha) को पत्र लिखकर संसद भवन में महात्मा गांधी, बीआर आंबेडकर और अन्य विभूतियों की प्रतिमाओं को दूसरे स्थान पर स्थापित किए जाने का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इन सभी प्रतिमाओं को संसद परिसर में वापस उनके मूल स्थान पर स्थापित किए जाने की मांग की है।

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    किसी से नहीं लिया गया परामर्शः खरगे

     लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को लिखे पत्र में खरगे ने बुधवार को कहा कि देश के बड़े नेताओं की प्रतिमाओं को मनमाने ढंग से संसद परिसर के दूसरे कोने में स्थापित किया गया है। इस संबंध में किसी से परामर्श भी नहीं किया गया। यह लोकतंत्र की मूल भावना का सरासर उल्लंघन है।

    खरगे ने लगाया जानबूझकर विस्थापित करने का आरोप

    खरगे ने अपने दोनों पत्रों में लिखा है कि महात्मा गांधी और भीमराव आंबेडकर समेत बड़े नेताओं की प्रतिमाओं को संसद में विभिन्न स्थानों पर बहुत सोच-समझकर लगाया गया था। यह प्रतिमाएं प्रमुख स्थलों पर स्थापित थीं, जिन्हें जानबूझकर विस्थापित किया गया है।

    कांग्रेस को है कड़ी आपत्तिः खरगे

    कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता खरगे ने कहा कि बिना किसी चर्चा के यह मनमाना फैसला लेने पर कांग्रेस को कड़ी आपत्ति है। इन दोनों महान नेताओं का देश की एकता और अखंडता में विशेष योगदान है इसलिए उनकी प्रतिमाओं को पूरे आदर के साथ उनके मूल स्थानों पर फिर से स्थापित किया जाए।

    ध्यान रहे कि विपक्षी दल प्राय: संसद परिसर में स्थित गांधी प्रतिमा और आंबेडकर प्रतिमा के स्थलों पर विरोध प्रदर्शन और पदयात्रा करते थे। 

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