Move to Jagran APP

Rajasthan: डूंगरपुर की भील बालिका काली बाई ने गुरुजी को बचाने दे दिए थे प्राण

Rajasthan पुलिस गुरुजी सेंगाभाई को घसीटकर ले जाने लगी तो कालीबाई ने दौड़कर रस्सी काटकर अपने गुरुजी को बचाया ही नहीं बल्कि हंसिया (लकड़ी और घास काटने के लिए उपयोग में लिया जाने वाला) लेकर पुलिस को ललकारा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 07:30 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 07:30 PM (IST)
Rajasthan: डूंगरपुर की भील बालिका काली बाई ने गुरुजी को बचाने दे दिए थे प्राण
डूंगरपुर की भील बालिका कालीबाई ने गुरुजी को बचाने दे दिए थे प्राण। फाइल फोटो

उदयपुर, सुभाष शर्मा। राजस्थान में डूंगरपुर की भील बालिका काली बाई को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता। जिसने अपने गुरुजी को बचाने के लिए अपने प्राण तक गंवा दिए। शनिवार को मेवाड़-वागड़ में उसका बलिदान दिवस मनाया गया। घटना देश की आजादी से लगभग दो महीने पहले 19 जून की है। डूंगरपुर का एक पुलिस अधिकारी कुछ जवानों के साथ रास्तापाल पहुंचा। उसने शिक्षा की अलख जगा रहे नाना भाई और सेंगाभाई को स्कूल बंद करने की अंतिम चेतावनी दी। किन्तु उनके नहीं मानने पर उन्होंने बेंत ओर बंदूक के बट से उनकी पिटाई शुरू कर दी। दोनों मार खाते रहे, पर विद्यालय बंद करने पर राजी नहीं हुए। वृद्ध नानाभाई पुलिस की मार सहन नहीं कर सके और उन्होंने प्राण त्याग दिए। इतने पर भी पुलिस का क्रोध शांत नहीं हुआ। पुलिस ने सेंगाभाई को ट्रक के पीछे रस्सी से बांधा हुआ था और मौके पर कई ग्रामीण मौजूद थे।

prime article banner

पुलिस के भय से किसी कि हिम्मत नहीं थी कि वह पुलिस को रोक पाए। ऐसे में बारह वर्षीय बालिका कालीबाई जंगल से घास काटकर ला रही थी। उसने अपने गुरुजी सेंगाबाई को पुलिस के ट्रक से बंधे देखा और वह मारपीट से लहूलुहान थे। जबकि एक अन्य गुरुजी जमीन पर पड़े थे। पुलिस गुरुजी सेंगाभाई को घसीटकर ले जाने लगी तो कालीबाई ने दौड़कर रस्सी काटकर अपने गुरुजी को बचाया ही नहीं बल्कि हंसिया (लकड़ी और घास काटने के लिए उपयोग में लिया जाने वाला) लेकर पुलिस को ललकारा। पुलिस अधिकारी ने रिवाल्वर निकाली और कालीबाई पर फायर कर दिए। घायल कालीबाई ने ग्रामीणों से कहा कि वह भयभीत नहीं हो, बल्कि उनका विरोध करें। कालीबाई की बात से ग्रामीण साहस से भर उठे तथा पुलिस पर हमलावर हो गए। ग्रामीणों से घिरी पुलिस दबे पांव भाग निकली और शिक्षा का मंदिर कभी बंद नहीं हो पाया। 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हो गया तथा कालीबाई को शहीद का दर्जा दिया गया। डूंगरपुर में कालीबाई स्कूल और कॉलेज संचालित हैं। वसुंधरा राजे ने कालीबाई के बलिदान की जानकारी पर्यटकों को मिले, इसके लिए कालीबाई पेनोरेमा की भी स्थापना कराई।

जान पर खेलकर चलाते थे स्कूल

इतिहासविद् जया शर्मा बताती हैं कि देश की आजादी से पूर्व आदिवासी क्षेत्र में स्कूल संचालन पर पूरी तरह पाबंदी थी। ऐसे में कुछ शिक्षक जान हथेली पर रखकर शिक्षा का अलख जगाए हुए थे। ऐसे शिक्षकों में नानाभाई और सेंगाभाई थे। वह रास्तापाल में स्कूल का संचालन कर आदिवासियों को शिक्षित करते थे। तत्कालीन महारावल ने कई बार स्कूल बंद करने की चेतावनी दी, लेकिन वह पीछे नहीं हटे। कालीबाई रास्तापाल के स्कूल में पढ़ती थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.