अजमेर दरगाह पर ASI का सर्वे होगा या नहीं? 24 जनवरी को होगी अगली सुनवाई; पढ़ें आज कोर्ट में क्या-क्या हुआ
अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका अजमेर की सिविल कोर्ट में गत 27 नवम्बर को स्वीकार कर ली गई थी। अदालत ने इसे सुनने योग्य माना और 20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख दी। दरगाह में मंदिर होने का दावा हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से पेश किया गया था।

जेएनएन, अजमेर। अजमेर दरगाह में संकट मोचक महादेव मंदिर होने के दावे को लेकर अजमेर के सिविल कोर्ट में दूसरी बार सुनवाई हुई। अदालत ने अगली तारीख 24 जनवरी 2025 सुनवाई के लिए तय की है। अदालत में शुक्रवार को पांच और नए पक्षकार सामने आए। सभी का पक्ष सुना गया।
अजमेर दरगाह कमेटी व अंजुमन की ओर से पक्ष रखा गया। अदालत ने फिलहाल जो भी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए गए है वह अपने पास रख लिए हैं। सभी पक्षकारों को 24 जनवरी 2025 को सुनवाई किए जाने की जानकारी दी गई है।
अजमेर दरगाह अंजुमन कमेटी की ओर से क्या दी गई दलील
पाठकों को बता दे कि हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वकील ने सुबह कोर्ट को कहा था कि अनावश्यक रूप से सभी को पक्षकार नहीं बनाया जाना चाहिए। वहीं, अजमेर दरगाह अंजुमन कमेटी के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अदालत को इंतजार करना चाहिए इससे पहले सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।
इस दौरान अदालत के समक्ष अंजुमन कमेटी की ओर से सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि अदालत ने 24 जनवरी तारीख दी है। जो भी अर्जियां पेश की गई। अंजुमन की तरफ से वन टेन की अर्जी लगाई गई है वहीं दरगाह कमेटी की ओर से सेवन इलेवन की अर्जी लगाई है। अदालत ने सभी अर्जियों को स्वीकार किया है। अब आगे बात 24 जनवरी को होगी।
इस दौरान अदालत में काफी गहमा गहमी रही। भारी भीड़ और लोग इस मामले में जिज्ञासा रखे हुए थे। सैयद गुलाम चिश्ती, दीवान साहब के वंशज, अंजुमन, दरगाह कमेटी आदि पक्षकार बने हैं।
20 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
उल्लेखनीय है कि अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे को लेकर विष्णु गुप्ता ने याचिका लगाई थी। इस पर अजमेर सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी किया था।
साथ ही अगली सुनवाई 20 दिसंबर तय की थी। जिसे बाद में अजमेर दरगाह से जुड़े खादिमों की संस्थाओं सहित अन्य मुस्लिम संगठनों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने विवाद खड़ा कर अपने वक्तव्य जारी किए थे व कोर्ट को वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए इस मामले में सुनवाई नहीं करने की नसीहत दी थी।
मामले में वाद-विवाद बढ़ने पर इसे लेकर सरकार व प्रशासन के स्तर पर अतिरिक्त सर्तकर्ता बरती जाने लगी है। अजमेर की दरगाह को सभी की आस्था का केंद्र मानते हुए उसकी सुरक्षा व यहां निकट भविष्य में ही आयोज्य सालाना उर्स के दृष्टिगत मामला अधिक संवेदनशील बना हुआ है।
चारों तरफ सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला दिया है।
प्रतिवादी पक्ष ने पृथ्वीराज विजयी की लिखी हुई किताब का दिया हवाला
नोटिस होने के बाद प्रतिवादी पक्ष को अपना लिखित पक्ष रखना था। उन्होंने लिखित बयान के लिए समय मांगा। याचिका कर्ता विष्णु गुप्ता ने अतिरिक्त साक्ष्य पृथ्वीराज विजयी की लिखी हुई किताब को साक्ष्य के रूप में पेश किया। यह पृथ्वीराज चौहान के समय में राजकवि थे। डॉ हरविलास शारदा की किताब को पेश किया।
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि दरगाह 1955 के एक्ट के अनुसार मंदिर मामला नहीं है। इस अर्जी को स्वीकार योग्य नहीं बताया। अदालत में कहा गया कि दरगाह को संस्था माना गया है। तमाम बात सुन कर अदालत ने आगे की तारीख अगली सुनवाई के लिए तय किया है।
वकीलों ने रखा अपना पक्ष........
सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता सुबह अजमेर कोर्ट पहुंचे। उनके वकील वरुण कुमार सिन्हा आए और कोर्ट में अपनी बात रखी। सिन्हा ने कोर्ट में कहा कि अनावश्यक रूप से सभी को पक्षकार नहीं बनाया जाए। ना ही दस्तावेजों की नकल दी जाए।
इससे पहले अंजुमन कमेटी के वकील आशीष कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता इस दावे की सुनवाई करना संभव नहीं है। फिलहाल सुनवााई जारी है। लंच के बाद फैसला आने की संभावना है।
दरगाह में मंदिर होने का दावा किया था पेश.................
याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने गुरुवार को ही अजमेर पहुंच कर प्रेस कांफ्रेंस के जरिए कहा था कि पीएम मोदी ने यहां आकर खुद चादर नहीं चढ़ाई। यह एक पद की परम्परा है जो नेहरू के समय से निभाई जा रही है।
गुप्ता ने दावा किया है कि वो कोर्ट में 1250 ईस्वी की किताब पृथ्वीराज विजय के तथ्य पेश करेंगे। जिसमें दरगाह के ख्वाजा साहब के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। साथ ही, गुप्ता ने दावा किया कि अजमेर दरगाह वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आती हैं वर्शिप एक्ट मंदिर, मस्जिद और गिरजाघरों पर लागू होता है। गुप्ता को एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर सुरक्षा भी मुहैया करवाई गई है।
यह है पूरा मामला.........
अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका अजमेर की सिविल कोर्ट में गत 27 नवम्बर को स्वीकार कर ली गई थी। अदालत ने इसे सुनने योग्य माना और 20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख दी। दरगाह में मंदिर होने का दावा हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से पेश किया गया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।