सांस्कृतिक धरोहर उदयपुर का बागोर हवेली संग्रहालय
जयपुर। उदयपुर की पिछोला झील के किनारे बागोर की हवेली में स्थित संग्रहालय रियासतकालीन संस्कृति का एक दर्पण है। रजवाडों के रहन-सहन, वेशभूषा, आमोद-प्रमोद, तीज-त्यौहार आदि सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए यह संग्रहालय देशी विदेशी पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
खूबसूरत जाली-झरोखें और स्थापत्य कला से चार चांद लगा रही इस हवेली को देखकर पर्यटक रोमांचित हो जाते है। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा संचालित संग्रहालय में मेवाड़ घराने की पगडियां, कलात्मक चौपडे, बाजोट, तोरण, पाटिया, रसोई के काम में आने वाले बर्तन, वाद्य यंत्र प्रदर्शित किए गए है। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक मोहम्मद फूरकान के अनुसार संग्रहालय में रियासतकालीन हस्तशिल्प, बुनाई, छपाई, कारीगरी के नमूने, बडे़ कांच, दर्पण, मदिरा की सुराईयां, प्याले संग्रहित किए गए है। संग्रहालय में चित्रमय सांप-सीढी के अलावा शासकों के बैठक कक्ष और उनकी दीवारों पर कलात्मक भित्तिचित्रों का अलंकरण देखते ही बनता है।
उन्होंने कहा कि संग्रहालय में गणगौर की सवारी, पशु-पक्षियों के चित्र, युद्ध के दृश्य, दिपावली मनाए जाने के दृश्य और होली, फूलडोल ,हरियाली अमावस्या, पडीनाथ मेले और मांगलिक प्रसंगों को चित्रों में उकेरा गया है इसके अलावा विभिन्न वेशभूषा धारण किए महिलाओं के माडल, तीन सौ से अधिक पगडियां और पांच सौ से अधिक कलात्मक एवं सज्जावटी कठपुतलियां प्रदर्शित की गई है। फूरकान के अनुसार विश्व में इससे अधिक और किसी संग्रहालय में कठपुतलियों का संग्रह नहीं है। संग्रहालय में महलों की आंतरिक दीवारों पर बनाई गई प्राकृतिक परिवेश में रंग-बिरंगे कांच के नाचते मयूरों की आकृतियां, कांच की कारीगरी का कार्य, पिछोला झील की तरफ रंगबिरंगे कांच के झरोखे, कलात्मक मेहराव आदि भी संग्रहालय देखने आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है। उन्होने कहा कि बागौर हवेली के इस अनूठे सांस्कृतिक संग्रहालय में संग्रहित वस्तुओं को और अधिक प्रभावी रूप से प्रदर्शित करने तथा संग्रहालय को आकर्षक बनाने के लिए भारत सरकार की संग्रहालय विकास योजना के तहत अस्सी लाख रुपये मिले है।
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