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    राजस्थान में 1190 मेगावाट की सोलर पावर परियोजना होगी स्थापित, गहलोत व प्रहलाद जोशी की मौजूदगी में हुआ समझौता

    केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में हुए एमओयू में तय हुआ है कि अगले दो साल मे सोलर परियोजना स्थापित करनी होगी । राज्य सरकार ने आरवीयूएलएल को दो हजार मेगावाट का सोलर पार्क विकसित करने की जिम्मेदारी दी है।

    By Jagran NewsEdited By: PRITI JHAUpdated: Thu, 13 Oct 2022 02:40 PM (IST)
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    राजस्थान में 1190 मेगावाट की सोलर पावर परियोजना होगी स्थापित,गहलोत व केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में हुआ समझौता

    जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में बिजली की कमी की समस्या जल्द खत्म हो सकती है। साथ ही प्रदेश में लंबे समय से चल रहे कोयला संकट से भी राहत मिलने की उम्मीद है। जयपुर में बृहस्पतिवार को राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरयूवीएलएल) और केंद्रीय कोयला मंत्रालय की कोल इंडिया लिमिटेड के बीच समझौता (एमओयू) हुआ है।

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    5400 करोड का होगा निवेश

    समझौते के तहत कोल इंडिया राजस्थान में 1190 मेगावाट की क्षमता का सोलर पावर परियोजना स्थापित करेगी। इस पर 5400 करोड का निवेश होगा। आरवीयूएनएल को प्रतिवर्ष दो करोड़ रुपये सोलर पार्क के संचालन और रख-रखाव के बदले दिए जाएंगे। केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में हुए एमओयू में तय हुआ है कि अगले दो साल मे सोलर परियोजना स्थापित करनी होगी। राज्य सरकार ने आरवीयूएलएल को दो हजार मेगावाट का सोलर पार्क विकसित करने की जिम्मेदारी दी है। इसके लिए बीकानेर जिले के पुगल में 4846 हेक्टेयर जमीन आंवटित होगी। सोलर पार्क परियोजना में 810 मेगावाट की क्षमा का सोलर पावर परियोजना खुद उत्पादन निगम लगाएगा। जबकि 1190 मेगावाट का सोलर परियोजना कोल इंडिया लिमिटेड लगाएगा।

    आयातित कोयला खरीदने की अनिवार्यता समाप्त

    इस मौके पर सीएम गहलोत ने दस फीसदी विदेशी आयातित कोयला खरीदने की अनिवार्यता का मुददा उठाया और कहा कि इसकी काफी आलोचना हुई हे। केंद्र सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए। इस पर जोशी ने कहा कि इस प्रावधान को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है। गहलोत ने इसे अच्छा फैसला बताया। उन्होंने कहा कि यह जोशी की अच्छी सोच को दर्शाता है।

    कोयले की कमी की समस्या का होगा समाधान

    जोशी ने कहा कि कोयला परिवहन में काफी खर्चा होता है। परिवहन करना बड़ी समस्या भी है। इसलिए कोयले के खनन क्षेत्रों में ही पीट हेड पावर प्रोजेक्ट राज्य सरकार लगा सकती है। मध्यप्रदेश सरकार ऐसी परियोजना स्थापित करने की तैयारी कर रही है। कोयले परिवहन के स्थान पर बिजली एक्सचेंज में लेना ज्यादा सस्ता है।

    जोशी ने सीएम से कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। पारसा ईस्ट और कान्ता बासन और सरगुजा में राजस्थान को अलॉट कोल माइंस से किसी कारण से कोयला रुका हुआ है। इसके लिए भारत सरकार प्रयास कर रही है। लेकिन गहलोत को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से बात करनी चाहिए। पारसा खान से यदि राज्य को 11 रैक प्रतिदिन कोयला मिलने लगेगा तो राजस्थान की थर्मल वार प्लांट के लिए कोयले की कमी की समस्या का समाधान होगा।

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