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    श्मशानघाट में जलाई गई चिता किसकी? जेल मंत्री भुल्लर के आदेश पर जांच शुरू; सात कर्मियों पर गिर सकती है गाज

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 08:25 PM (IST)

    खेमकरण के अमरकोट गांव में एक श्मशानघाट में जलाए गए शव को लेकर विवाद गहरा गया है। जेल में हवालाती की मौत के बाद जेल अधिकारियों ने कथित तौर पर गलत परिवार को सूचित किया और शव सौंप दिया। जेल मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने जांच के आदेश दिए हैं। दैनिक जागरण द्वारा मामला उठाए जाने के बाद जांच शुरू हो गई है।

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    श्मशानघाट में जलाई गई चिता किसकी? सांकेतिक फोटो

    धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन। विधानसभा हलका खेमकरण के गांव आबादी अमरकोट के श्मशानघाट में जलाई गई चिता किसकी थी, यह सवाल ग्रामीणों पर नहीं, बल्कि केंद्रीय जेल गोइंदवाल साहिब के अधिकारियों के गले की फांस बन रहा है। दैनिक जागरण द्वारा मामले को प्रमुखता से उठाने के बाद जेल मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने जांच के आदेश दिए हैं।

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    जेल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट जतिंदरपाल सिंह रिपोर्ट सरकार को देंगे। हालांकि रविवार को छुट्टी के बावजूद जांच अधिकारी ने जेल के वार्डन जगजीत सिंह को बुलाकर मौखिक तौर पर जांच शुरू कर दी है।

    मामले में जेल में तैनात चार अधिकारियों व तीन कर्मियों पर इस लापरवाही की गाज गिर सकती है।तरनतारन जिले के थाना वल्टोहा में 25 मई को दर्ज किए चोरी के मामले में आबादी अमरकोट से संबंधित युवक गुरप्रीत सिंह उर्फ भालू अपने चाचा समेत केंद्रीय जेल गोइंदवाल साहिब में बंद है। जेल में बंद गुरप्रीत सिंह उर्फ भोला गैस नामक हवालाती की अचानक मौत हुई।

    बता दें कि नियमों के मुताबिक अगर जेल में मौत होती है तो पोस्टमार्टम की कार्रवाई मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में करवाई जाती है, जिसकी बाकायदा वीडियोग्राफी भी अनिवार्य है। बता दें कि चोरी के मामले में जेल में बंद गुरप्रीत सिंह भालू के पिता सुखदेव सिंह की मौत हो चुकी है।

    जबकि अन्य थाने से संबंधित गुरप्रीत सिंह भोला गैस नामक युवक के पिता का नाम भी सुखदेव सिंह ही है, जिसकी मौत के बाद जेल प्रबंधकों ने बड़ी लापरवाही बरतते हुए आबादी अमरकोट से संबंधित गुरप्रीत सिंह उर्फ भालू के परिवार को सूचित किया कि बीमारी के कारण उसकी मौत हो गई है।

    इसी लापरवाही के बीच जेल के वार्डन जगजीत सिंह ने थाना गोइंदवाल साहिब की पुलिस को सूचित करके पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू करवाई। जिसमें संबंधित थाने के एएसआइ चरनजीत सिंह उर्फ प्रगट सिंह शामिल हैं। यह बताना जरूरी है कि गुरप्रीत सिंह भालू के भाई गुरभेज सिंह से यह कहते कागजों पर हस्ताक्षर करवाए कि नामुराद बीमारी के कारण हुई मौत के मामले में पोस्टमार्टम जरूरी है।

    उधर, गुरभेज सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि उसके पिता सुखदेव सिंह व मां बलविंदर कौर की मौत हो चुकी है। भाई भालू की मौत की खबर सुनते ही वह सुध-बुध खो बैठा था। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने जब शव सौंपा तो शाम हो गई थी। सिविल अस्पताल से शव लेकर सीधा गांव के श्मशानघाट में पहुंचे। सूर्यास्त होने से पहले अंतिम संस्कार जरूरी था।

    अगर अंतिम संस्कार से पहले शव देख लेता तो सच्चाई सामने आती। जेल मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने मामले का कड़ा नोटिस लेते हुए विभाग के कुछ अधिकारियों को तलब भी किया है। इस बारे में गोइंदवाल जेल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट जतिंदरपाल सिंह ने बताया कि जांच में अभी समय लगेगा। आबादी अमरकोट से संबंधित परिवार को जो शव सौंपा था, उसके वारिस कौन हैं, इस बाबत अभी कुछ कहना मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर है।