ग्राउंड रिपोर्ट: बाढ़ में 800 लोग बने चट्टान... धुस्सी बांध टूटने से रोका, 8-8 घंटे की शिफ्ट में इसे कर रहे मजबूत
तरनतारन के सभरा गांव में 66 वर्षीय किसान गुरमेज सिंह झंडोके ने युवाओं जैसा जोश दिखाते हुए बाढ़ से गांव को बचाने के लिए ग्रामीणों को एकजुट किया। उनकी पुकार पर ग्रामीणों ने कार सेवा की भावना से काम करते हुए 18 दिनों तक लगातार धुस्सी बांध को मजबूत किया।

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन। किसान गुरमेज सिंह झंडोके की आयु 66 वर्ष है, लेकिन 16 अगस्त को गांव सभरा के धुस्सी बांध में आई दरार को सबसे पहले उन्होंने देखा तो जोश युवाओं जैसा नजर आया। 14 हजार की आबादी वाले गांव की 12 पत्तियों में पैदल दौड़ते उन्होंने दुहाई दी कि ‘ओ पिंड वालेयो, हुण सौण दा नईं, जागण दा वेला ए, वेखियो किते आपां फिर डूब न जाइए।’
गुरमेज सिंह की आवाज सुनते ही युवक रंजीत सिंह राणा ने गुरुद्वारा साहिब से अनाउंसमेंट करवाई और कार सेवा सरहाली संप्रदाय तक अपनी आवाज पहुंचाई। देखते ही देखते ग्रामीणों का काफिला बोरियां, कस्सियां व अन्य सामान लेकर बांध की ओर दौड़ पड़ा। 18 दिन से लगातार ग्रामीण पूरे जज्बे के साथ जुटे हैं और हौसले से बांध को चट्टान सा मजबूत बाढ़ के पानी का रुख मोड़ दिया।
बाढ़ की चपेट में पूरा पंजाब
जिला तरनतारन में हरिकेपत्तन में ब्यास व सतलुज दरिया का संगम है। इस समय दोनों दरिया उफान पर हैं और हरिके हेडवर्क्स से छोड़े जा रहे पानी से दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में हैं। हलका पट्टी के सबसे बड़े गांव सभरा को ग्रामीणों के हौसले ने डूबने से बचा लिया। यहां बने बांध में दरार पड़ने की बुजुर्ग गुरमेज की पहली आवाज पर जुटे ग्रामीणों ने न सिर्फ बांध को टूटने से बचाया बल्कि अब 600 से 800 लोग रोजाना 8-8 घंटे की शिफ्ट में धुस्सी बांध की मजबूती के लिए जुटे हैं।
कार सेवा समझकर डटे हैं ग्रामीण
इस कार्य को कार सेवा समझते हुए सतनाम श्री वाहेगुरु का जाप भी किया जा रहा है। जगरूप सिंह, महिंदर सिंह, शीशपाल सिंह, केवल सिंह, कंधारा सिंह, जोगा सिंह ने बताया कि बांध की मजबूती केवल अपने गांव को बचाने के लिए नहीं बल्कि घड़ुम्म, बस्ती लाल सिंह, कुत्तीवाला, फूलां वाली, घुल्लेवाला, गदाइके, जल्लोके, डुमणीवाला, भाऊवाल, राधलके, राम सिंह वाला, कोट बुड्ढा व बंगला रायके गांवों के लिए भी जरूरी है। पट्टी क्षेत्र भले ही नशे के लिए बदनाम है, लेकिन ‘चढ़ता’ पंजाब की जवानी डूब रहे भविष्य को बचाने को समर्पित हो चुकी है।
14 वर्षीय आकाशदीप सिंह का कहना है कि जिस खेत का अनाज खाते हैं, उसकी सुरक्षा के लिए हम 18 दिन से मिट्टी से मिट्टी व पानी से पानी हो रहे हैं। बांध ने नींद उड़ा रखी है, लेकिन हौंसला नहीं हारेंगे।
कारोबारी रंजीत सिंह सभरा 15 दिन से अपना कारोबार समेटकर धुस्सी बांध की मजबूती को समर्पित हो चुके हैं। उनका कहना है कि अगर हमारा खेत ही नहीं बचा तो हमारा जीने का क्या फायदा।
बुजुर्ग गुरमेज सिंह की सात एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी हैं। पशुओं के लिए चारा भी नहीं बचा। अपने परिवार के साथ पशुओं को लेकर सड़क के किनारे तिरपाल से बनाए तंबू में रह रहे हैं।
1100 में से मात्र 48 एकड़ उपजाऊ जमीन ही बची कारज सिंह, गुरसेवक सिंह, हरपाल सिंह, राज सिंह, बिक्का सिंह, लखविंदर सिंह, हरजीत सिंह, रविंदर सिंह, जोगिंदर सिंह ने बताया कि गांव की 1100 एकड़ के करीब उपजाऊ जमीन में से केवल 48 एकड़ जमीन बची है। बाकी जमीन दरिया की भेंट चढ़ गई है। ग्रामीणों ने कहा कि कैबिनेट मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर का सहयोग भी नहीं भूल सकते।
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