Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तरनतारन: जेल में गुरप्रीत की हुई थी मौत, मां को नहीं दिया बेटे का शव; दूसरे कैदी का कर दिया अंतिम संस्कार

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 10:11 PM (IST)

    तरनतारन में जेल प्रशासन की लापरवाही से एक परिवार ने दूसरे कैदी के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। नशा तस्करी के आरोप में बंद गुरप्रीत सिंह की मौत के बाद जेल प्रशासन ने ग़लती से दूसरे गुरप्रीत सिंह के परिवार को सूचित कर दिया जिनका उन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया। परिजनों का आरोप है कि वे अंतिम समय में अपने बेटे का चेहरा भी नहीं देख पाए।

    Hero Image
    तरनतारन जेल में गुरप्रीत की हुई थी मौत। सांकेतिक फोटो

    धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन। खेमकरण के गांव आबादी अमरकोट में जिस गुरप्रीत सिंह का 25 सितंबर को अंतिम संस्कार किया गया वह असल में तरनतारन जिले के ही गांव पक्का किला निवासी 22 वर्षीय गुरप्रीत सिंह गैस का था। गुरप्रीत नशा तस्करी के केस में जेल में बंद था। चार दिन बाद बेटे की मौत और उसका अंतिम संस्कार तक होने की बात सुनकर उसके स्वजन गहरे सदमे में हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुरप्रीत के माता-पिता और बहन का कहना है कि जेल प्रशासन की लापरवाही के कारण वे उसका अंतिम समय में न तो चेहरा देख सके और न ही उसका अंतिम संस्कार कर सके। उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण ने 'परिवार ने जिसे मृत मान गांव में अंतिम संस्कार किया, वह जेल में जिंदा मिला' शीर्षक के तहत रविवार के अंक में खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसका संज्ञान लेते हुए जेल मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने जांच के आदेश दिए थे।

    मामले की जांच जेल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट जतिंदरपाल सिंह को सौंपी गई थी। रविवार को जांच अधिकारी ने जेल के वार्डन जगजीत सिंह को बुलाकर मौखिक तौर पर जांच शुरू की तो यह बात सामने आई। मां बोली- बेटे का अंतिम समय में चेहरा तक नहीं देख सकी गुरप्रीत की मां परमजीत ने बताया कि जेल प्रशासन की कोताही के चलते वह न तो बेटे का अंतिम दर्शन कर पाई और न ही कोई अंतिम संस्कार की रस्म निभा पाई।

    वहीं, बहन पूजा का कहना है कि इसे केवल जेल प्रबंधकों की गलती नहीं कहा जा सकता। पिता सुखदेव सिंह ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से मांग की है कि पूरे मामले की सीबीआइ से जांच करवाकर मामले के सही तथ्य सामने लाए जाएं। गुरप्रीत के मामा कुलदीप सिंह ने कहा कि परिवार को इंसाफ नहीं मिला तो वे हाई कोर्ट जाएंगे।

    कैदियों और उनके पिता के नाम थे एक

    केंद्रीय जेल गोइंदबाल साहिब में जिस कैदी की मौत हुई उसका नाम गुरप्रीत सिंह और पिता का नाम सुखदेव सिंह था। वहीं, इसी जेल में चोरी के आरोप में बंद हवालाती गुरप्रीत सिंह के पिता का नाम भी सुखदेव सिंह था।

    दोनों तरनतारन जिले से ही संबंधित थे लेकिन उनके गांव अलग-अलग थे। मरने वाला गांव पक्का किला निवासी था जबकि जेल प्रशासन ने शव गांव आबादी अमरकोट निवासी गुरप्रीत के स्वजन को सौंप दिया। ये है मामला तरनतारन जिले के गांव आबादी अमरकोट के गुरप्रीत के भाई गुरभेज को पुलिस ने 24 सितंबर को सूचना दी कि उसकी मौत हो गई है।

    25 सितंबर को पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम करवाकर बाद दोपहर शव स्वजन को सौंप दिया। गुरभेज के अनुसार चूंकि शाम को संस्कार नहीं कर सकते थे, ऐसे में परिवार अस्पताल से शव मिलने के बाद तुरंत गांव के श्मशानघाट पहुंचे और वहां बिना चेहरा देखे ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया।

    अगले दिन उसकी अस्थियां जलप्रवाहित करने के बाद वह जब जेल में बंद अपने चाचा से मिलने गया तो पता चला कि जिस भाई को वह मरा हुआ समझ रहा था, वह जेल में जीवित है। इसके बाद से यह सवाल उठने लगा था कि आखिर परिवार ने जिसका अंतिम संस्कार किया वह कौन था।