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    'दिल्ली कूच करना सही नहीं', आंदोलन को लेकर बोले किसान नेता जोगिंदर सिंह; 'MSP पर कानून बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं'

    किसान आंदोलन में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी कानून को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं। वहीं पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह ने कहा है कि हर मुद्दे पर दिल्ली कूच करना सही नहीं है।

    By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 13 Dec 2024 09:21 PM (IST)
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    किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह (जागरण फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Punjab-Haryana Farmers Protest: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच किसान यूनियनों के मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी कानून को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं।

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    शंभू बॉर्डर (Farmers at Shambu Border) से किसान दिल्ली कूच पर अड़े हैं। वहीं, पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह ने कहा है कि हर मुद्दे पर दिल्ली कूच करना सही नहीं है। हर बार हमें 2020-21 की तरह जनसमर्थन मिल जाएगा, यह सोचना भी गलत हैं।

    'तीन कृषि कानूनों से बड़ी है यह लड़ाई'

    उन्होंने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी की लड़ाई तीन कृषि कानूनों (Farmers Laws) से बड़ी है। हर छोटी-मोटी बात के लिए दिल्ली में मोर्चा लगाकर बात भी नहीं मनवाई जा सकती है। हरेक मोर्चा का एक समय होता हैं।

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    एक इलेक्ट्रानिक चैनल पर उगराहां ने कहा कि 2020-21 में लड़ाई तीन कृषि कानूनों को वापस करवाने को लेकर थी। एमएसपी की गारंटी का प्रस्ताव तो बाद में जोड़ा गया। एमएसपी को कानून बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं हैं। एक-दो राज्य मिलकर इस लड़ाई को नहीं लड़ सकते हैं।

    पंजाब में है 34 किसान संगठन

    बता दें कि पंजाब में 34 किसान संगठन हैं। इन सभी किसान संगठनों की अपनी ही विचारधारा है। यही कारण हैं कि यह संगठन कभी भी एक मंच पर नहीं आ पाते हैं। दिल्ली कूच के लिए अड़े पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समित के प्रधान सरवन सिंह पंढेर ने आंदोलन के दस माह पूरे होने पर शंभू बॉर्डर पर शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोगों के जुटने का आह्वान किया था, पर यहां बड़ी संख्या में किसान नहीं जुटे।

    इससे भी अंदाज लगाया जा सकता है कि आंदोलन बेअसर होता जा रहा है। वहीं, उगराहां ने कहा कि हम मुद्दों का समर्थन करते हैं, लेकिन तरीके का नहीं क्योंकि हरेक संगठन का अपना ही लाइन आफ एक्शन है। डल्लेवाल-पंढेर के आंदोलन पर कहा कि इसका जवाब वही दे सकते हैं।

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