Farmers Protest: वाटर कैनन, आंसू गैस और तंबू, 10 महीने बाद खनौरी बॉर्डर पर पुलिस फिर चौकस; क्या है किसानों की चुनौती?
शंभू बॉर्डर से किसानों के जत्थे के रवाना होने की तैयारियों के बीच खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस और प्रशासन अलर्ट है। वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दागने के लिए गाड़ियां तैनात की गई हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी है। किसान शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हैं और दिल्ली कूच के लिए कोई हलचल नहीं है।

जागरण संवाददाता, संगरूर। केंद्र सरकार को बातचीत के लिए दस दिन का दिया अल्टीमेटम खत्म होने के बाद आज शंभू बॉर्डर से 101 किसानों का जत्था रवाना होने की जहां तैयारियां चल रही हैं, वहीं खनौरी बॉर्डर पर भी हरियाणा प्रशासन व पुलिस प्रशासन पूरी तरह से चौकस हो गया है।
बॉर्डर पर वाटर कैनन, आंसू गैस के गोले दागने के लिए गाड़ियां तैनात कर दी गई हैं। करीब दस माह के बाद खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस, सीआरपी व अर्ध सैनिक बल एक बार फिर सरगर्म हो गए हैं।
खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने सड़क की सफाई भी करके मिट्टी को हटा दिया है, ताकि अगर आंसू गैस के गोले दागने की जरूरत पड़ी तो सड़क की मिट्टी की वजह से प्रयास विफल न रहे। वहीं, दूसरी तरफ किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का खनौरी बॉर्डर से करीब आठ सौ मीटर पीछे मंच पर आमरण अनशन जारी है।
किसान शांतिमय तरीके से बैठे हैं व दिल्ली कूच के लिए यहां से कोई हलचल नहीं है। डल्लेवाल गत दिवस ही स्पष्ट कर चुके हैं कि खनौरी बॉर्डर पर अनशन का मोर्चा ही जारी रहेगा, बल्कि दिल्ली कूच के लिए यहां से कोई आगे नहीं बढ़ेगा।
पुलिस प्रशासन बॉर्डर पर तैयार
शुक्रवार सुबह किसान नेता काका सिंह कोटड़ा मंच से हरियाणा बॉर्डर की तरफ अपने साथियों के साथ गए व हरियाणा प्रशासन द्वारा बॉर्डर पर की जा रही तैयारियों का जायजा लेकर लौटे। कोटड़ा ने कहा कि हमारा आंदोलन यहां पूरी शांतिमय तरीके से जारी है, लेकिन हरियाणा पुलिस प्रशासन व सुरक्षा एजेंसियां बॉर्डर पर तैयारियां कर रही है।
दिल्ली कूच : शंभू बार्डर पर बैरिकेड्स टूटे
— Amit sharma (@editor_amit) December 6, 2024
Mayhelm at Shambhu border again..! #Delhi #FarmersProtest #FarmersProtest2024 #farmer #FarmerProtestInDelhi pic.twitter.com/caCuQxIHbc
हरियाणा सरकर व हरियाणा पुलिसप्रशासन की इसमें क्या मंशा है यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि आमरण अनशऩ शुरू करते ही दस दिन का समय केंद्र सरकार को बातचीत के लिए दिया गया था, लेकिन केंद्र सरकार कुंभकरणी नींद सो रही है व बातचीत के लिए कोई आमंत्रण नहीं आया।
पहले केंद्र व हरियाणा सरकार का कहना था कि किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियां या वाहन लेकर दिल्ली न आएं, लेकिन अब किसान पैदल दिल्ली कूच कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा सरकार फिर से उन्हें रोक रही है। इससे साफ है कि केंद्र सरकार की मंशा किसान विरोधी है।
जितना बल व धन केंद्र सरकार किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए खर्च कर रही है। अगर इतना बल किसानों के मसले हल करने व किसानों के घरों के चूल्हे जलाने के लिए करें तो किसानों को अपनी जान कुर्बान करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि शंभू बॉर्डर से किसान पैदल ही दिल्ली कूच करेंगे तो हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। आज फिर हरियाणा व केंद्र सरकार किसानों का लहू बहाने की तैयारी में है।
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