शंभू बॉर्डर पर 13 महीने बाद दौड़े वाहन, NHAI ने लिया सड़क और पुल का जायजा; टीम ने गिनाई कमियां
पंजाब के पटियाला में शंभू बॉर्डर 13 महीने 1 सप्ताह बाद फिर से खुल गया है। गुरुवार दोपहर करीब 4 बजकर 36 मिनट पर पंजाब से हरियाणा में प्रवेश वाली साइड को खोला गया। दूसरी ओर दिल्ली से अमृतसर की तरफ जाने वाले ट्रैफिक के रास्ते को खोलने के लिए दोनों राज्यों का प्रशासन जुटा रहा। प्रशासन ने अस्थाई ठिकानों को गिरा दिय।

जागरण संवाददाता, पटियाला। पंजाब के अंतर्गत पटियाला में शंभू बॉर्डर (Shambhu Border Open) को आज गुरुवार दोपहर करीब 4 बजकर 36 पर यात्रियों के लिए खोल दिया गया है। हालांकि, इस दौरान पंजाब से हरियाणा में प्रवेश वाली साइड को ही खोला गया। लेकिन यह साइड खोले जाने के साथ ही वाहनों का आवागमन भी शुरू हो गया।
दूसरी ओर दिल्ली से अमृतसर की तरफ जाने वाले ट्रैफिक के रास्ते को खोलने के लिए दोनों राज्यों का प्रशासन जुटा गुरुवार देर शाम तक जुटा रहा। दूसरी तरफ शंभू बॉर्डर (Shambhu Border Open) पर किसान आंदोलन के दौरान किसान संगठनों द्वारा बनाए गए उनके अस्थाई ठिकानों को गिराने में भी प्रशासन दिनभर जुटा रहा।
NHAI की टीम ने लिया जायजा
शंभू बॉर्डर पर घग्गर दरिया पर बने पुल को खोलने से पहले नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की सात सदस्यीय टीम ने पुल के ऊपर और नीचे सूखे दरिया में जाकर जांच की।
इस बीच टीम के सदस्यों ने बताया कि जांच में यह देखा गया कि पुल को मौजूदा समय में किस तरह की मरम्मत की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से पुल को मरम्मत की जरूरत है और इस बारे में यह टीम अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपेगी।
इस किसान आंदोलन के दौरान न केवल अमृतसर दिल्ली नेशनल हाईवे को शंभू बॉर्डर (Shambhu Border Open) पर काफी नुकसान पहुंचा, बल्कि हाईवे के इस स्ट्रेच पर विकसित की गई ग्रीन बेल्ट भी पूरी तरह से खराब हो चुकी है।
हिरासत में सैकड़ों किसान
गुरुवार को कार्रवाई के दौरान पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर सैकड़ों किसानों को हिरासत में लिया और सीमावर्ती क्षेत्र में उनके अस्थायी शिविरों को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया। जहां वे बेहतर फसल कीमतों की मांग को लेकर एक साल से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
किसान पिछले फरवरी से हरियाणा की सीमा पर डेरा डाले हुए थे, जब सुरक्षा बलों ने फसलों के लिए अधिक राज्य समर्थन की कानूनी रूप से समर्थित गारंटी के लिए दबाव बनाने के लिए राजधानी नई दिल्ली की ओर उनके मार्च को रोक दिया था। बता दें कि किसान पिछले साल फरवरी माह से प्रदर्शन कर रहे थे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।