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    पंजाब में दशहरे पर आतिशबाजी से लुधियाना-मंडी गोबिंदगढ़ का AQI बिगड़ा, पराली जलाने में कमी से प्रदूषण नियंत्रण की उम्मीद

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 06:42 PM (IST)

    पंजाब में दशहरे पर आतिशबाजी से लुधियाना और मंडी गोबिंदगढ़ का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मध्यम श्रेणी में पहुंच गया। हालांकि पिछले साल के मुकाबले राज्य में पराली जलाने और AQI में सुधार हुआ है। बठिंडा की हवा में सुधार दिखा जबकि पराली जलाने की घटनाओं में भी कमी आई है जिससे प्रदूषण नियंत्रण की उम्मीद है। विशेषज्ञ नियंत्रण बनाए रखने पर जोर दे रहे हैं।

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    दशहरे पर आतिशबाजी से प्रभावित हुई हवा, लुधियाना और मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई बिगड़ा (फोटो: जागरण)

    जागरण संवाददाता, पटियाला। पंजाब में दशहरे के अवसर पर हुई आतिशबाजी का असर वीरवार देर रात राज्य की हवा की गुणवत्ता पर साफ दिखाई दिया। आतिशबाजी के धुएं के कारण लुधियाना और मंडी गोबिंदगढ़ जैसे औद्योगिक शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) संतोषजनक कैटेगरी से बढ़कर माडरेट कैटेगरी में दर्ज किया गया।

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    हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले राज्य में पराली जलाने के साथ साथ एक्यूआई में भी काफी सुधार दर्ज किया गया है। अगर पिछले वर्ष दशहरे से तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो इस वर्ष बठिंडा की हवा में पिछले साल की तुलना में काफी सुधार रहा, जबकि लुधियाना और मंडी गोबिंदगढ़ में आतिशबाजी का असर साफ दर्ज किया गया।

    इस वर्ष दशहरे के दिन (2 अक्तूबर 2025, रात 11 बजे) एक्यूआई

    अमृतसर – 89

    बठिंडा – 88

    जालंधर – 50

    लुधियाना – 101

    मंडी गोबिंदगढ़ – 112

    पटियाला– 84

    पिछले वर्ष दशहरे पर (12 अक्तूबर 2024, रात 11 बजे) एक्यूआई

    अमृतसर – 133

    बठिंडा – 236

    जालंधर – 84

    लुधियाना – 102

    मंडी गोबिंदगढ़ – 84

    पटियाला – 101

    पराली जलाने के मामलों में राहत

    वहीं, दूसरी ओर पराली जलाने की घटनाओं में इस वर्ष अब तक राहत देखने को मिल रही है। पिछले करीब चार दिनों से राज्य में पराली जलाने का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। इससे पहले 29 सितंबर को पराली जलाने के पांच मामले सामने आए थे। उसके बाद से लगातार राज्य में कोई नया केस रिपोर्ट नहीं हुआ है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पराली जलाने पर नियंत्रण इसी तरह बना रहा और मौसम अनुकूल रहा तो इस वर्ष प्रदूषण की स्थिति पिछले साल की तुलना में काफी हद तक काबू में रह सकती है। हालांकि, आने वाले दिनों में पराली जलाने का ग्राफ बढ़ने की आशंका बनी रहती है।