Farmers Protest: 10 महीनों का संघर्ष, मौत का भी भय नहीं... अब किन मांगों की जिद पर 'दिल्ली कूच' के लिए अड़े किसान
शंभू बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। वह दिल्ली कूच के लिए शंभू बॉर्डर पर अड़े हुए हैं जहां हरियाणा पुलिस उन्हें रोकने का प्रयास कर रही है। किसानों का यहा आंदोलन साल के शुरुआत में शुरू हुआ था जो साल के अंत तक जारी है। किसान यह आंदोलन क्यों कर रहे हैं और उनकी क्या मांगें हैं। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं।

डिजिटल डेस्क, पटियाला। Farmers Demand: शंभू बॉर्डर पर एक बार फिर किसान एकत्रित हो गए हैं। हरियाणा पुलिस भी उन्हें रोकने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है। बॉर्डर पर पुलिस और प्रदर्शकारी आमने-सामने हैं। ऐसे में किसान दो बैरिकेड्स तोड़कर आगे भी बढ़ गए थे, पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर किसी तरह से उन्हें रोका। दिल्ली कूच करने के इस सफर में किसानों की कुछ ऐसी मांगे हैं जिन्होंने साल के शुरुआत से ही तूल पकड़ना शुरू कर दिया था।
इससे पहले साल 2024 के शुरुआत में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करना का प्रयास भी किया। उस दौरान उनके पास ट्रैक्टर-ट्रॉली थीं। लेकिन इस बार किसान पैदल ही शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं।
किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए हरियाणा पुलिस ने अंबाला के दस गांवों में इंटरनेट बंद किया हुआ है। वहीं, इलाके में धारा 144 लगी हुई है। पर सवाल है कि आखिर किसान ये आंदोलन कर क्यों रहे हैं, क्या हैं इनकी मांगें? आइए, इसकी विस्तारपूर्वक चर्चा करते हैं।
किसानों की क्या हैं मांगें।
किसानों की प्रमुख रूप से 12 मांगें हैं, जो इस प्रकार हैं:
1.सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बने।
- किसानों की मांग है कि सभी फसलों पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय हो। हालांकि, हरियाणा सरकार ने मौजूदा समय में 24 फसलों पर एमएसपी तय की हुई है।
2. फसलों की डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से कीमत तय हो।
स्वामीनाथन आयोग ने सी-2 फॉर्मूले के आधार पर खेती की लागत में 50 प्रतिशत राशि जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने की सिफारिश की थी। इसमें संसाधन, श्रम, समग्र पूंजी एवं जमीन की टेनेंसी रेट को भी शामिल करने की बात कही गई है
3.भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए।
- इस अधिनियम के तहत, जमीन के अधिग्रहण करने से पहले जमीन के मालिक से मंजूरी लेनी होती है
- ग्रामीण इलाकों में जमीन के अधिग्रहण के लिए बाजार मूल्य का चार गुना और शहरी इलाकों में मार्किट के मूल्य से दोगुनी कीमत अदा करने का प्रावधान था। इसके अधिनियम के अंतर्गत किसानों के हित में और भी प्रावधान थे और भी मांगें थीं।
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4. लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए।
यूपी के लखीमपुर खीरी में वर्ष 2021 को 3 अक्टूबर की दोपहर तकरीबन 3 बजे यहा हिंसा हुई थी। इसमें किसानों को कूचलने का प्रयास किया गया था। इस हिंसा में 8 लोगों की मौत हुई थी। हिंसा में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप लगे थे।
ये मांगें भी अहम
5. भारत मुक्त व्यापार समझौते से बाहर आए।
6. किसान-खेत मजदूरों का कर्ज माफ हो, पेंशन दी जाए।
7.किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा, सरकारी नौकरी मिले।
8. विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद किया जाए।
9. मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम, 700 रुपये दिहाड़ी दी जाए।
10. फसल के नुकसान को लेकर प्रधानमंत्री फसल बीमा स्कीम में सुधार करने की आवश्यकता।
11. संविधान की पांचवीं अनुसूची का भली-भांति पालन किया जाए।
12. नकली बीज बचने वाले बिक्रेताओं के लाइसेंस रद हों।
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