मेरा नहीं लगदा जी, मेरे घर आ माता
संवाद सहयोगी, पटियाला चतुर्थी नवरात्र यानी मां भगवती के चतुर्थी स्वरूप कूष्मांडा (इसका अर्थ है..
संवाद सहयोगी, पटियाला
चतुर्थी नवरात्र यानी मां भगवती के चतुर्थी स्वरूप कूष्मांडा (इसका अर्थ है.. पूरा जगत उनके पैर में) की स्तुति का दिन। शाही शहर में हर ओर उल्लास का वातारण है और दिन-रात देवी का स्तुतिगान गूंज रहा हे।
प्राचीन श्री काली देवी मंदरि में दैनिक अनुष्ठान के बाद संपुट खोले गए, जिसमें श्रद्धालुओं ने हरियाली के रूप में मां के दर्शन किए। मंदिर में सुबह पवित्र गंगाजल से मां का अभिषेक हुआ और रोली, मौली, कुमकुम, चूड़ी, बिंदी, इत्र आदि से उनका श्रृंगार किया गया।
इस मौके पर पर पंडित गिरीश चंद्र ने कहा कि जितनी शुद्ध एवं पवित्र भावना से मां की पूजा करते हैं, उतनी ही शीघ्रता से हमें उनकी अनुकंपा भी प्राप्त होती है। सांध्य बेला में पूजा-अर्चना के बाद भजनों का दौर चला। श्रद्धालु मां दर्शन करने के लिए ढोल की थाप पर नाचते गाते पहुंचे।
सेहत विभाग ने मंदिर में भ्रूण रोको के फ्लैक्स लगाए
नवरात्र के मद्देनजर भ्रूण हत्या पर कटाक्ष करते शब्द लिखे फ्लैक्स लगाए हैं। संदेश जैसे कि कंजकों की पूजा करते हो क्यों जन्म देने से डरते हो। बेटियां मारते जाओगे तो बहू कहां से लाओगे, बेटी बचाओ मानवता बचाओ, बेटियों का करो सम्मान, पुत्रों जैसे प्यार करो, भ्रूण टेस्ट करवाना जुर्म है।
इस संबंध सिविल सर्जन एचएस बाली का कहना है कि प्रदर्शनी लगाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि नवरात्रों के दौरान मां के दर्शनों को लाखों की संख्या में मां के भक्त मां का आशीर्वाद प्राप्त करने आते है। मंदिर में आए भक्त ऐसे फ्लैक्स लगे देखे। शायद उनके मनों में बेटियों के लिए सम्मान पैदा हो और उन्हें मारने से तौबा कर लें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।