सिविल अस्पताल में फिर पकड़ी गई नकली आशा वर्कर और फिर सेहत विभाग ने चेतावनी देकर छोड़ दिया
हैरानी की बात ये है कि पकड़ी गई नकली आशा वर्कर से पूर्व एसएमओ डा. राकेश सरपाल की ओर से साइन किया गया एक आइकार्ड भी मिला है। आइकार्ड मुताबिक पकड़ी गई आशा वर्कर की पहचान रेखा देवी पत्नी परवीन कुमारी निवासी आनंदपुर रड़ा के रूप में हुई है।

संवाद सहयोगी, पठानकोट: सिविल अस्पताल में नकली आशा वर्करों और कमीशन का खेल अभी जारी है। हर बार एक आशा वर्कर पकड़ी जाती है, जिसे सेहत विभाग नकली बताता है और उससे पल्ला झाड़ लेता है। गौरतलब है कि हर बार ये तो बताया जाता है कि आशा वर्कर नकली है, लेकिन उसके खिलाफ कोई भी कार्रवाई या पुलिस थाने में शिकायत तक नहीं की जाती है।
विगत दिनों पकड़ी गई नकली आशा वर्कर का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि कि शनिवार को एक और नकली आशा वर्कर सिविल अस्पताल में पकड़ी गई है। हैरानी की बात ये है कि पकड़ी गई नकली आशा वर्कर से पूर्व एसएमओ डा. राकेश सरपाल की ओर से साइन किया गया एक आइकार्ड भी मिला है। आइकार्ड मुताबिक पकड़ी गई आशा वर्कर की पहचान रेखा देवी पत्नी परवीन कुमारी निवासी आनंदपुर रड़ा के रूप में हुई है। एक महीने के भीतर ही नकली आशा वर्कर के पकड़े जाने का ये तीसरा मामला सामने आया है। इससे कहीं न कहीं सेहत विभाग की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। बता दें कि पहली घटना के दस दिनों बाद ही एक और मामला सामने आया था। उक्त दोनों मामलों में सिविल अस्पताल प्रासन ने कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की थी। शनिवार को नकली आशा वर्कर बन कमीशन के चक्कर में तीसरी महिला भी हत्थे चढ़ गई।
बता दें कि इन आशा वर्करों का बाहर की निजी लैब के साथ कमीशन होता है व मरीज लाने के लिए उनको अलग से कमीशन दिया जाता था। वहीं अस्पताल में डिलीवरी करवाने व डलीवरी के उपरांत बधाई लेने के नाम पर मरीजों से रोजाना पैसे ऐंठे जा रहे थे। मरीजों की बार-बार शिकायत मिलने पर जब इस महिला को अस्पताल प्रशासन के सामने ले जाया गया तो पता चला कि पकड़ी गई महिला आशा वर्कर नहीं है। आरोपित महिला बोली- कमरा नंबर नौ से मिला था आइ कार्ड
शनिवार को भी स्थानीय लोगों द्वारा नकली आशा वर्कर का पर्दाफाश किया गया है। पकड़ी गई महिला को डाक्टरों के सामने लाया गया तो सारी सच्चाई सामने लाई। महिला से फर्जी आइकार्ड भी बरामद हुआ, जिस पर सेवानिवृत हो चुके एसएमओ डा. राकेश सरपाल के हस्ताक्षर भी हैं। हालांकि ये हस्ताक्षर नकली हैं या असली ये तो जांत के बाद ही पता चल पाएगा। जानकारी मुताबकि पूछने पर महिला ने बताया कि यह आई कार्ड उसे अस्पताल के ही कमरा नंबर- 9 से प्राप्त हुआ है। इस पर यह कहना गलत नहीं होगा कि अस्पताल में कर्मचारियों की मिली भगत से ही नकली आशा वर्करों का धंधा चल रहा है। मामले को लेकर तत्कालीन एसएमओ डाक्टर राकेश सरपाल से बात करने की कोशिश की परंतु उनसे संपर्क नहीं हो पाया। गर्भवती महिलाओं के निजी लैब से टेस्ट करवाकर कमीशन लेती थीं नकली आशा वर्कर
बता दें कि कि विगत माह सिविल अस्पताल में चार महिलाओं को पकड़ा गया था जो कि आशा वर्कर बन कर अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं को बहला-फुसला कर निजी लैब ले जाती थीं और टेस्ट व अल्ट्रासांउड करवाकर कमीशन प्राप्त करती थी। पकड़े जाने पर अस्पताल प्रशासन की ओर से उन्हें अपने अस्पताल की आशा वर्कर ना बता कर नकली आशा वर्कर कहकर पल्ला झाड़ लिया गया था। नकली आशा वर्कर से मिले कार्ड के बारे में नहीं हा जानकारी: कंप्यूटर आपरेटर
फिलहाल कमरा नंबर-नौ में कार्यरत कंप्यूटर आपरेटर हरप्रीत सिंह का कहना है कि जनवरी महीने में तत्कालीन एसएमओ डाक्टर राकेश सरपाल ने तीन आशा वर्करों के तीन आइकार्ड बनाने के लिए कहा गया था जो बना दिए गए थे।आशा वर्कर से प्राप्त हुआ फर्जी आईकार्ड के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। अल्ट्रासाउंड मशीन का बार-बार खराब होना भी संदेह के घेरे में
सिविल अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन का बार-बार खराब होना भी संदेह के घेरे में है। अस्पताल की मशीन ज्यादातर खराब ही रहती है। ये भी एक वजह है कि लोगों निजी लैब की ओर रुख करना पड़ता है। ऐसे में ऐसी ही नकली आशा वर्कर गर्भवती महिलाओं बहला-फुसला कर कमीशन के लिए निजी लैब ले जाने में आसानी से सफल हो जाती हैं। बार-बार मशीन का खराब होने विभाग की कार्यप्रणाली और मिली भगत की ओर इशारा कर रहा है। बता दें कि पिछले एक सप्ताह से अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन से गर्भवती महिलाओं की स्कैनिंग नहीं हो पा रही है। हालांकि सिविल अस्पताल प्रबंधन यह कह रहा है कि मशीन पुरानी होने की वजह से यह बार-बार खराब हो रही है, जिसके बारे में हायर अथारिटी को लिखा था। संभवता आने वाले दिनों में सिविल अस्पताल को नई मशीन मिल जाएगी। उच्च अधिकारियों दे दी है मामले की जानकारी, वही करेंगे कार्रवाई: एसएमओ
उक्त मामले के बारे में कार्यकारी एसएमओ डाक्टर सुनील चंद का कहना है कि मामला उच्च अधिकारियों के ध्यान में ला दिया गया है इसपर अब उनकी ओर से ही कार्रवाई की जाएगी। नकली आशा वर्कर को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। महिला से प्राप्त हुई कार्ड की तहकीकात की जाएगी। जिस भी कर्मचारी ने फर्जी हस्ताक्षर किए है उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। आखिर कहां चूक हुई है इसका भी विभागीय स्तर पर पता लगाया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही सारे रहस्य पर से पर्दा उठ जाएगा। उन्होंने कहा कि महिला ने कमरा नंबर-नौ में जिस कर्मचारी का नाम लिया है वह कर्मचारी वहां तैनात नहीं है। विभाग मामले की जांच कर रहा कि उक्त नाम का कर्मचारी वहां कैसे आया व पकड़ी गई महिला का पहचान पत्र कैसे बनाया।
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