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Punjab News: जल्द रुकेगा पाकिस्तान में बहने वाला पानी, 206 MW बिजली का होगा उत्पादन; 100 गांवों के किसानों को मिलेगा फायदा

Punjab News जल्द ही पाकिस्तान की ओर बहने वाला पानी अब किसानों को मिलेगा और उस पानी के जरिए 205 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना के तहत रावी नदी से जम्मू कश्मीर को प्रतिदिन 1150 क्यूसेक पानी मिलेगा जिससे कठुआ और सांबा (Kathua and Samba) जिलों में 32173 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा।

By Purshotam Sharma Edited By: Prince Sharma Published: Tue, 05 Mar 2024 09:05 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2024 09:05 PM (IST)
Punjab News: जल्द रुकेगा पाकिस्तान में बहने वाला पानी, 206 MW बिजली का होगा उत्पादन;

जागरण संवाददाता, पठानकोट। रणजीत सागर डैम (आरएसडी) की दूसरी इकाई बैराज बांध के निर्माण में पिछले दो वर्ष से काफी तेजी आई है। प्रदेश की वर्तमान आप सरकार के प्रयासों की बदौलत ही इसका काम समय पर पूरा होने जा रहा है।

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बांध बनने के बाद जहां इसकी क्षमता 206 मेगावाट होने से प्रदेश बिजली संकट से उभरेगा। वहीं, पंजाब और जेएंडके के 100 गांवों के किसानों को भी पर्याप्त मात्रा में पानी मिलना शुरू हो जाएगा। क्योंकि, बैराज बनने के बाद देश का बहुमूल्य पानी जिसे पाकिस्तान छोड़ना पड़ता था, वह नहीं छोड़ा जाएगा।

परियोजना से 206 मेगावाट बिजली उत्पादन हाउसों के जरिए 

इस परियोजना के तहत रावी नदी से जम्मू कश्मीर को प्रतिदिन 1150 क्यूसेक पानी मिलेगा, जिससे कठुआ और सांबा जिलों में 32,173 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा। परियोजना से 206 मेगावाट बिजली उत्पादन पावर हाउसों के जरिए 2025 से शुरू हो जाएगा।

परियोजना पर करीब 2,793 करोड़ रुपये लागत आई है। इसका मंगलवार को पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने विशेष तौर पर जिक्र किया हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि अगले एक-दो महीनों के भीतर बैराज में बिजली का उत्पादन शुकू हो जाएगा।

साल2013 में इस प्रोजेक्ट की लागत 2,300 करोड़ रुपये तय हुई थी। तब, पंजाब और जम्मू कश्मीर के बीच कुछ मतभेदों को लेकर 50 महीने तक काम रुका रहा। विवाद सुलझने के बाद 2018 में फिर से काम शुरू हुआ, जोकि अब 2,793 करोड़ रुपए में पूरा होगा। यह प्रोजेक्ट रावी नदी पर बने 600 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाले रणजीत सागर बांध का पूरक है। इससे 206 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन होगा। साथ ही 37 हजार एकड़ जमीन भी सिंचित होगी।

पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच 1979 में हुआ था द्विपक्षीय समझौता

पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच 1979 में एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। समझौते के तहत पंजाब सरकार द्वारा रणजीत सागर डैम (थीन डैम) और शाहपुरकंडी डैम का निर्माण किया जाना था। रणजीत सागर डैम का निर्माण कार्य अगस्त 2000 में पूरा हो गया था।

सन् 1960 में भारत-पाक सिंधु जल संधि पर हुए थे साइन

शाहपुरकंडी डैम परियोजना रावी नदी पर रणजीत सागर डैम से 11 किलोमीटर अनुप्रवाह यानी नीचे और माधोपुर हेडवर्क्स से आठ किलोमीटर प्रतिप्रवाह ऊपर पर स्थित है। योजना आयोग ने नवंबर 2001 में इस परियोजना को प्रारंभिक स्तर पर मंजूरी दी थी और इसे त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के अधीन शामिल किया था, ताकि सिंचाई घटक के अंतर्गत इस परियोजना के लिए धन उपलब्ध कराया जा सके।

सिंधु नदी के जल बंटवारे के लिए 1960 में भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये थे। इस संधि के तहत भारत को 3 पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलज के जल के उपयोग का पूर्ण अधिकार प्राप्त हुआ था।

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माधोपुर हेडवर्क्स से हर साल करीब 12 हजार क्यूसेक से अधिक पानी पाकिस्तान में बह जाता था, उसे रोकने के लिए सरकार के पास कोई मैकेनिज्म नहीं था। अब इस बांध के बनने से पानी की बर्बादी पर रोक लगेगी और सिंधु जल समझौते के दौरान जो सहमति बनीं थी, उतना ही पानी पाकिस्तान को मिल सकेगा, बाकी 12 हजार क्यूसेक से अधिक पानी जोकि पाकिस्तान में बह जाता था, उसे भी रोका जा सकेगा।

37 गांव के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा

बैराज से पंजाब के किसानों के लिए निकलने वाली नहर का काम शुरू हो गया है। इससे क्षेत्र के सैकड़ों किसानों की 35,000 हजार एकड़ जमीन को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के लिए पानी मिलने से फायदा होगा।

किसान एडवोकेट अमरजीत सिंह ने कहा कि लंबे वर्षों से जो पंप हाउस बंद पड़े थे और उनकी जगह अब किसानों को नहर से नाले निकाल पानी मिलना है, जिसके चलते किसानों में भारी खुशी पाई जा रही है।

किसान राज कुमार ने कहा कि नई नहर बनने के कारण लिफ्ट इरीगेशन बंद हो गए थे और अब नहर से नए नाले निकल रहे हैं, जिससे क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। किसान स्वर्ण ठाकुर ने कहा कि सिंचाई के लिए पानी मिलने से किसान आर्थिक रूप में ठीक होंगे और किसानों की फसलें अच्छी होंगी।

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