जागरण संवाददाता, पठानकोटः जैसा कि हम जानते है कि ट्रेन गुजरने से पहले लोगों की सुरक्षा के लिए फाटक बंद किए जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग इन सब बातों को दरकिनार करते हुए बंद फाटक के नीचे से निकलने का प्रयास करते हैं। इनमें साइकिल, स्कूटर, बाइक सवार ही नहीं बल्कि पैदल चलने वाले बुजुर्ग, महिलाएं व स्कूली बच्चे भी शामिल होते हैं। जल्दबाजी में ये लोग यह भूल जाते हैं कि उनकी नासमझी उन्हें मंहगी पड़ सकती है।
रेलवे विज्ञापन द्वारा लोगों को किया जाता है जागरुक
कई बार तो रेल बिलकुल समीप होने पर भी वे फाटक को पार करने से परहेज नहीं करते। कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ न ही स्थानीय प्रशासन कुछ करने के मूड में नजर आ रहा है और न ही रेलवे प्रशासन की ओर से कोई कदम उठाएं जा रहे है। रेलवे विज्ञापन इत्यादि के जरिए तो लोगों को बंद फाटक पार न करने के लिए जागरुक करता है और ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी की बात कही जाती है। एक आदमी को देखकर अन्य भी फाटक बंद होने के बावजूद नीचे से गुजरने लगते हैं।
बंद फाटक के नीचे से गुजरना कानूनी अपराध
रेलवे नियमों के अनुसार बंद फाटक के नीचे गुजरना अपराध है और ऐसा करने वालों पर रेलवे एक्ट की धारा 147 के तहत मामला दर्ज जाता है और छह महीने की कैद व 500 रुपये जुर्माने अथवा दोनों एक साथ का प्रविधान है। रेलवे फाटक बंद होने का मकसद यही होता है कि ट्रेन किसी भी समय आ सकती है, लोग सावधान हो जाएं।
रेलवे ने लोगों के लिए खास सुझाव दिया गया है कि यदि वह कभी भी चौकीदार वाले रेलवे फाटक के पास जाए तो चौकीदार के ऊपर यह दबाव न बनाएं कि वह फाटक को खोल दे। यदि वह ऐसा करते हैं तो सजा के पात्र होंगे। ऐसे में रेलवे ने साफ कहा है कि यदि कोई भी व्यक्ति अपनी साइकिल या मोटरसाइकिल और स्कूटर को बंद फाटक के नीचे से निकालता है तो उसको अपराधी घोषित किया जाएगा।
आरपीएफ रख रही पैनी नजर
रेलवे फाटक बंद होने के बाद उसके नीचे से कोई न गुजरे इसकी जिम्मेवारी आरपीएफ व जीआरपी की होती है। खास तौर पर अति व्यस्त रहने वाले फाटकों पर तो आरपीएफ जवानों का होना बहुत जरूरी है। इसके तहत आरपीएफ पठानकोट कैंट व सिटी द्वारा सेक्शन के अधीन आते सभी रेलवे फाटकों पर जवानों की तैनाती की गई है ताकि लोग नीचे से न गुजरें।