50 लोगों पर दुष्कर्म का आरोप लगाने के पीछे की क्या थी सच्चाई? पढ़ें मोगा सेक्स स्कैंडल की पूरी कहानी
मोहाली की सीबीआई अदालत ने मोगा सेक्स स्कैंडल (What is Moga Sex Scandal) मामले में तत्कालीन एसएसपी दविंदर सिंह गरचा एसपी परमदीप सिंह संधू एसएचओ रमन कुमार और एसएचओ अमरजीत सिंह को दोषी करार दिया है। 18 साल पुराने इस मामले में चारों को 4 अप्रैल को सजा सुनाई जाएगी। मोगा सेक्स स्कैंडल आखिर क्या था? आइए पूरा केस विस्तार से समझते हैं।

जागरण संवाददाता, मोगा। बहुचर्चित मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में मोहाली की CBI अदालत ने चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया है। इनमें तत्कालीन एसएसपी मोगा दविंदर सिंह गरचा, तत्कालीन एसपी (हेडक्वार्टर) मोगा परमदीप सिंह संधू, तत्कालीन एसएचओ, थाना सिटी मोगा रमन कुमार, तत्कालीन एसएचओ, पुलिस स्टेशन सिटी मोगा इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह शामिल हैं। अदालत 4 अप्रैल को इन्हें सजा सुनाएगी। ये मामला क्या था और कैसे पुलिस अधिकारियों ने निर्दोषों को फंसाने की चाल चली। आइए, विस्तार से जानते हैं।
मोगा सेक्स स्कैंडल मामले (What is Moga Sex Scandal) में अदालत ने अकाली नेता बरजिंदर सिंह मक्खन बराड़ और अन्य को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। इस घटना में आरोपी नाबालिग लड़की के खिलाफ किशोर न्यायालय में एक अलग मामला लंबित है।
2007 में सामने आया घटनाक्रम
यह घटनाक्रम अप्रैल, 2007 में प्रकाश में आया था, उस समय राज्य में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार थी। 12 नवंबर, 2007 को मीडियो रिपोर्ट्स में राजनीतिक नेताओं के नाम का उल्लेख होने के बाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मेहताब सिंह गिल और न्यायमूर्ति हरबंस लाल की खंडपीठ ने शो-मोटो नोटिस लिया और जांच अधिकारी DSP भूपिंदर सिंह सिद्धू (सेवानिवृत्त एसपी) से स्थिति रिपोर्ट मांगी।
SSP मोगा और DIG फिरोजपुर रेंज को नोटिस जारी किए गए और मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। पीठ ने फैसला सुनाया था कि यह कांड जम्मू सेक्स कांड (Jammu Sex Scandal) से कम नहीं लगता।
इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके कि सेक्स स्कैंडल में कौन-कौन राजनेता शामिल हैं और कौन-कौन लोग आम लोगों से पैसे ऐंठने में शामिल थे।
भोले-भाले लोगों को फंसाते थे पुलिसकर्मी
इस मामले में, पुलिस अधिकारियों की कथित मिलीभगत से, दो महिलाओं पर धनी और भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनसे बड़ी रकम लेने और बाद में उन्हें क्लीन चिट देने का आरोप लगाया गया था।
विशेष सीबीआई अदालत ने इस बहुचर्चित घोटाले में चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम की धारा 7 के तहत अतिरिक्त आरोप तय किए हैं। इस बीच, मामले से जुड़े दो वकील शपथपूर्वक गवाह बन गये।
क्या था पूरा मामला?
इधर, थाना सिटी पुलिस ने जगराओं के निकटवर्ती एक गांव की नाबालिग लड़की की शिकायत पर अप्रैल 2007 में सामूहिक दुष्कर्म (What is Moga Sex Scandal) का मामला दर्ज किया था। कोर्ट में धारा 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज कराए गए बयानों में महिला ने करीब 50 अज्ञात लोगों पर दुष्कर्म का आरोप लगाया।
इसके बाद पुलिस ने इस कांड में अमीर और भोले-भाले लोगों को फंसाने का खेल खेलना शुरू कर दिया। इस घटना में मोगा के बड़े व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों का नाम सामने लाया गया और बड़ी रकम प्राप्त करने के बाद पीड़ित से संबंधित व्यक्ति के पक्ष में हलफनामा ले लिया गया और क्लीन चिट दे दी गई।
इस प्रकार, जब सूचना के स्रोत एक राजनीतिक नेता ने एक पुलिस अधिकारी द्वारा पैसे मांगने की ऑडियो रिकॉर्डिंग बनाई, तो पूरा पुलिस बल इस पूरे खेल से हैरान रह गया।
सरकारी गवाह बनी आरोपी महिला की हत्या
इस सेक्स स्कैंडल मामले का सामना कर रही धर्मकोट के निकट एक गांव की आरोपित महिला मनजीत कौर मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी गवाह बन गई। वह अपना नाम बदलकर जीरा के पास एक गांव में रहने लगी और 21 सितंबर, 2018 को उसे और उसके पति की उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
शिअद के बड़े नेता जत्थेदार ताेता सिंह के बेटे और पंजाब हेल्थ सिस्टम कॉर्पोरेशन के पूर्व एमडी व पूर्व नगर कौंसल अध्यक्ष बरजिंदर सिंह मख्खन बराड़ का नाम इस मामले में सामने आने के बाद उस समय सियासत में हलचल चरम पर थी।
आरोप-प्रत्यारोप में घिरी सरकारें
सरकार अकाली दल बादल और भाजपा गठजोड़ की होने की वजह से कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए थे। मगर अब जब उन्हें अदालत ने बरी कर दिया है तो अकाली नेता बरजिंदर सिंह मक्खन बराड़ ने कहा कि वह एक साजिश का शिकार हुए थे और उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था तथा आखिरकार सच्चाई की जीत हुई। ।
अकाली दल के जिला अध्यक्ष अमरजीत सिंह गिल और अकाली नेता राजिंदर सिंह डल्ला ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा दिवंगत कैबिनेट मंत्री जत्थेदार तोता सिंह के परिवार के राजनीतिक जीवन पर झूठा दाग लगाने की साजिश रची गई थी।
2007 का घोटाला
2007 में पंजाब के पूर्व मंत्री तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन बराड, मोगा के तत्कालीन एसएसपी दविंदर सिंह गरचा, एसपी परमदीप सिंह संधू, डीएसपी रमन कुमार और स्टेशन हाऊस ऑफिसर अमरजीत सिंह के अलावा मोगा जिले की निवासी मंजीत कौर, सुखराज सिंह, करमजीत सिंह बाठ और रणबीर सिंह के खिलाफ आरोप तय किए गए थे।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत चार पुलिसकर्मियों पर भी आरोप लगाए गए थे। हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद 2007 में ही यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।
सीबीआई ने संधू के साथ गरचा को गिरफ्तार किया और उन पर प्रभावशाली व्यक्तियों को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया, जिनसे पैसे का बड़ा हिस्सा उन्हें मिला था।
मामले के सभी आरोपित जमानत पर बाहर थे। हालांकि अभी भी नाबालिगा से दुष्कर्म और पहले आरोपित और बाद में गवाह बनी महिला की हत्या के केस अभी भी अदालत में चल रहे हैं।
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