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    पावरकाम ने दिव्यांग दंपती का जीवन बना दिया 'अपंग'

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 06 Aug 2021 11:09 PM (IST)

    दिव्यांग दंपती के खस्ताहाल घर में न कूलर है न फ्रिज। एक कमरे के मकान में रह रहे दंपती व उनकी बेटी सिर्फ एक पंखे व लाइटों का प्रयोग करते हैं।

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    पावरकाम ने दिव्यांग दंपती का जीवन बना दिया 'अपंग'

    नेहा शर्मा, मोगा

    दिव्यांग दंपती के खस्ताहाल घर में न कूलर है, न फ्रिज। एक कमरे के मकान में रह रहे दंपती व उनकी बेटी सिर्फ एक पंखे व लाइटों का प्रयोग करते हैं। अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले इस दंपती का कोरोना काल में काम ठप हो गया था, जिस कारण वह बिजली का बिल नहीं भर सका था, जो एक साल पहले बढ़कर 13219 रुपये का हो गया था। कोरोना काल के बाद फिर से काम शुरू किया है तो वह बमुश्किल चार हजार रुपये मासिक ही कमा पा रहा है। ऐसे में दिव्यांग के पास बिल भरने के पैसे नहीं है। बिल जमा न होने की सूरत में पावर काम ने घर का बिजली कनेक्शन काट दिया है। एक साल से दिव्यांग दंपत्ती बिना बिजली के मुश्किल से दिन गुजार रहे हैं। पीड़ित ने इस मामले में डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस से भी शिकायत की थी। डीसी ने पावर काम के एक्सईएन को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे, लेकिन आज तक पावर काम ने कोई कार्यवाही करने के बजाय दिव्यांग पर बिजली बिल के कम से 10 हजार रुपये पहले जमा करवाने को कह रहा है।

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    पावर काम ने भले ही दिव्यांग की जिदगी को 'अपंग' बना दिया हो, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हारी है वह हर रोज मेन बाजार में पुराने कपड़ों की मरम्मत कर अपनी इकलौती सात साल की बेटी को सरकारी स्कूल में पढ़ा रहा है।

    शहर की घनी आबादी वाली बस्ती प्रति नगर निवासी गुरप्रीत सिंह 80 प्रतिशत दिव्यांग है, जबकि उसकी पत्नी राजविद्र कौर सौ प्रतिशत विकलांग है। गुरप्रीत सिंह फटे पुराने कपड़ों की सिलाई कर मुश्किल से महीने में साढ़े तीन चार हजार रुपये कमाता है। उसी में घर का गुजारा करता है। उसकी सात साल की एक बेटी है, जो सरकारी स्कूल में पढ़ रही है। सुविधा के नाम पर गुरप्रीत सिंह के घर में सिर्फ एक पंखा और एक बल्ब है। चुनाव आते ही पार्टियों में फ्री बिजली देने की बातें करते हैं, लेकिन अनुसूचित जाति से संबंधित दिव्यांग को ये सुविधा आज तक नहीं दे सके, जिस कारण एक साल से परिवार बिना बिजली के ही गुजारा कर रहा है। हैरानी की बात है कि कोरोना काल में जरूरतमंदों की मदद के लिए तमाम समाजसेवी संस्थाएं आगे आईं, लेकिन गुरप्रीत सिंह के परिवार को उस समय भी कोई मदद नहीं मिली थी। गुरुप्रीत सिंह का कहना है कि रात को उसका परिवार स्ट्रीट लाईट की रोशनी से ही गुजारा करता है। घर की हालत भी ठीक नहीं है।

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