जागरण संवाददाता, लुधियाना/पटियाला। Stubble Burning In Punjab: पंजाब में पराली जलाने के मामलों में एक बार फिर बढ़ाेतरी हाेने से प्रदूषण बढ़ रहा है। लाेगाें काे राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार मिलने के बाद राहत की उम्मीद जगी थी, लेकिन यह समस्या अभी बरकरार है। मंगलवार तक राज्य में पराली जलाने के 415 मामले हो गए हैं। अमृतसर जिले में सबसे ज्यादा पराली जलाई गई। यहां अब तक 320 मामले दर्ज हो चुके हैं।
धान की कटाई के बाद बढ़ेंगे मामले
54 मामलों के साथ तरनतारन में राज्य में दूसरे स्थान पर है। हालांकि पिछले कुछ दिनों हुई वर्षा के कारण धान की कटाई नहीं हो रही है, जिससे पराली जलाने के मामले कम ही सामने आ रहे हैं। दोबारा धान की कटाई शुरू होने के साथ राज्य में पराली जलाने के मामले फिर से रफ्तार पकड़ सकते हैं।
किस जिले में कितने मामले
अमृतसर, तरनतारन के अलावा जालंधर व पटियाला में अब तक पराली जलाने के सात-सात मामले, फिरोजपुर, गुरदासपुर व कपूरथला में छह-छह, मोहाली में तीन, फरीदकोट में दो तथा लुधियाना, फतहेगढ़ साहिब, मानसा व नवांशहर में एक-एक मामले सामने आए हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डा आदर्शपाल विग ने बताया कि सेटेलाइट के जरिये पराली जलाने के मामलों पर नजर रखी जा रही है। इसकी रिपोर्ट तुरंत जिला प्रशासन के पास भेज दी जाती है ताकि त्वरित कार्रवाई हो सके।
गीली पराली की मलचिंग करने से मिलेगा लाभ
पीएयू फल विज्ञान विभाग के प्रमुख डा. एचएस रत्तनपाल कहते हैं कि अगर किन्नू वाले खेतों में गीली पराली की मलचिंग (पराली को कुतर कर) कर दी जाए तो इससे किन्नू के पेड़ को कई तरह के लाभ मिलते हैं। पीएयू ने लुधियाना और अबोहर में किन्नू के बागों में यह परीक्षण किया है। ऐसा करने से पराली गल कर किन्नू के पौधों को प्राकृतिक खाद उपलब्ध करवाती है। दूसरा जितने हिस्से को पराली से ढंका जाता है, वहां खरपतवार नहीं उगते। इससे गर्मियों में खेतों का तापमान भी स्थिर बना रहता है।
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