पंजाब में अनाज बर्बाद से कई राज्यों में चार साल तक लोगों का पेट भर जाए
पंजाब में जितना अनाज बर्बाद हो जात है उससे गाेवा जैसे कई राज्यों में लोगों का चार साल तक पेट भर जाए। राज्य में आठ सालों में 5,67,835 मीट्रिक टन अनाज खराब हो गया।
जेएनएन, लुधियाना। पंजाब में आठ सालो में जितना अनाज बर्बाद हो गया, उससे कई राज्यो में लोगों का चार साल तक पेट भर जाता। पंजाब में वर्ष 2009 से लेकर 1 फरवरी 2017 तक 5,67,835 मीट्रिक टन अनाज खराब हो चुका है। इस अनाज से गोवा जैसे राज्य की पूरी आबादी का 4 साल तक पेट भरा जा सकता था। वहीं हिमाचल प्रदेश की 90 फीसद आबादी एक साल तक इस अनाज से पेट भर सकती थी।
2009 से लेकर 2017 तक पंजाब में 1249 करोड़ का अनाज खराब हुआ
पंजाब में आठ साल में जितना अनाज खराब हुआ है, उससे 56 लाख 78 हजार 350 बैग (100-100 किलोग्राम) बनते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, साल में एक व्यक्ति औसतन 90 से 100 किलोग्राम अनाज खा जाता है। अगर हम 100 किलो की औसत लगाएं, तो यह गेहूं 56 लाख लोग खा सकते हैं।
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गोवा की आबादी 2011 के आंकड़ों के मुताबिक साढ़े 14 लाख के करीब है। इस हिसाब यह अनाज गोवा की पूरी आबादी का चार साल तक पेट भर सकता था। इसी तरह हिमाचल प्रदेश की आबादी 2011 के सर्वे अनुसार 69 लाख के करीब है। इस हिसाब से हिमाचल की कुल आबादी के लगभग 90 फीसद लोग इस खराब हो चुके गेहूं से सारा साल अपना पेट भर सकते थे।
किस खरीद एजेंसी ने कितना गेहूं खराब (मीट्रिक टन में)
-पंजाब एग्रो फूड ग्रेन: 1171
-पंजाब स्टेट वेयर हाउस कार्प: 4820
-पनग्रेन: 108706
-पनसप: 220416
-मार्कफेड: 112722
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किस साल में कितना गेहूं खराब (मीट्रिक टन में)
-2009-10: 568
-2010-11: 13409
-2011-12: 56079
-2012-13: 76297
-2013-14: 110288
-2014-15: 310965
-2015-16: 204
-2016-17: 25
कुल 567835 मीट्रिक टन
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गोदाम में ऐसे पहुंचता है गेहूं
गेहूं की एमएसपी इस बार 1525 रुपये रखी है। 50 किलोग्राम की एक बोरी पर मार्केट फीस, रूरल डेवलपमेंट फंड, आढ़ती कमीशन समेत अन्य सालाना रख-रखाव का खर्च डालकर 50 किलो की एक बोरी 1100 रुपये के करीब पड़ती है। इस हिसाब से यह कीमत 1249 करोड़ के लगभग बनती है।
गेहूं पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
किसानों की दिन रात की मेहनत व इतनी बड़ी मंडी प्रणाली व अन्य फीस के बाद इतनी बड़ी मात्र में गेहूं का खराब होना काफी दुखद भी है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सरेआम उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक छह महीने के अंदर गेहूं गोदामों में से उठानी होती है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं। इसे देखकर लगता है कि इस मामले में न तो एफसीआइ गंभीर है और न ही गेहूं खरीदने वाली राज्य की खरीद एजेंसियां।
गेहूं खराब होने के मुख्य कारण
इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं खराब होने के बारे में जब विभाग के कुछ अधिकारियों से बात की गई, तो उन्होंने अपना नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर बताया की एफसीआइ को पंजाब के गोदामों में से छह महीने के अंदर गेहूं उठाना होता है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा, जिस वजह से अनाज खराब हो रहा है। पंजाब में ज्यादा गोदाम खुले क्षेत्र में हैं। इस वजह से यह जल्दी खराब हो जाता है। दबी जुबान में अधिकारियों ने माना कि भ्रष्टाचार भी इसका बड़ा कारण है। इस वजह से बड़ी संख्या में खरीद एजेंसियों के कर्मचारी अदालतों में आरोपी बने हुए हैं।
नए कर्मचारी छोड़ रहे हैं सरकारी नौकरी
मामला यहीं खत्म नहीं होता। एक कर्मचारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि विभाग में पिछले घपलों के कारण नई नौकरी पाने वाले कर्मचारी अपनी जान छुड़ाने के लिए इस्तीफा दे चुके है और कुछ देने के लिए कतार में हैैं।
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'' राज्य में 40 लाख मीट्रिक टन अनाज का भंडारण करने के लिए जगह कम है। इस वजह से अनाज सड़ता है। नया स्टॉक आ गया है और पुराना अभी तक उठा नहीं है। शैलो गोडाउन के माध्यम से 32 लाख 20 लाख मीट्रिक टन अनाज को सुरक्षित किया गया है। अन्य गोदामों की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है।
-केएपी सिन्हा, सचिव, खाद्य एवं अापूर्ति विभाग।
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18 करोड़ लोग रोज भूखे पेट सोने पर मजबूर
दुनियाभर में भुखमरी का शिकार होने वाले कुल लोगों का एक चौथाई हिस्सा भारत में ही रहता है। 2015 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स के मुताबिक भुखमरी का सामना करने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा भारत में है। भारत में साढ़े 19 करोड़ लोगों को जरूरत के मुताबिक भोजन नहीं मिलता है। हर रोज 18 करोड़ लोग भूखे पेट सोने पर मजबूर हैं।
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फोरम फॉर लर्निंग एंड एक्शन विद इनोवेशन एंड रीगर की रिपोर्ट कहती है, कि भारत में पांच साल के कम उम्र के 50 फीसदी बच्चों की मौत कुपोषण की वजह से होती है। देश में हर साल दो करोड़ 10 लाख टन गेंहू बर्बाद होता है, जो ऑस्ट्रेलिया में गेहूं के कुल उत्पादन के बराबर है।
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