साहिर लुधियानवी की यादों को संजोए है लुधियाना का एससीडी गवर्नमेंट कालेज, लाइब्रेरी में है नज्माें का खजाना
मशहूर शायर साहिर लुधियानवी आजादी से पूर्व साल 1942-43 में इस कालेज में पढ़ा करते थे। उनका पूरा नाम अब्दुल हया साहिर था। बचपन से ही शायरी लिखने के शौकीन साहिर कालेज में दोस्तों को शायरी सुनाया करते थे।

दिलबाग दानिश, लुधियाना। साहिर लुधियानवी को न तो किसी पहचान की जरूरत है और न ही कोई ऐसा शख्स होगा, जिन्हें यह न पता हो कि वे कहां के रहने वाले थे। हालांकि काफी लोग इससे अनजान होंगे कि साहिर लुधियानवी शहर के सबसे पुराने सतीश चंद्र धवन (एससीडी) सरकारी कालेज में पढ़े हैं।
इस कालेज ने साहिर की यादों को बखूबी संजोकर रखा हुआ है। मशहूर शायर साहिर लुधियानवी आजादी से पूर्व साल 1942-43 में इस कालेज में पढ़ा करते थे। उनका पूरा नाम अब्दुल हया साहिर था। बचपन से ही शायरी लिखने के शौकीन साहिर कालेज में दोस्तों को शायरी सुनाया करते थे। साहिर की शायरी का सफर इसी कालेज से शुरू हुआ था, जो उन्हें प्रसिद्धियों तक लेकर गया।
कालेज परिसर में साहिर लुधियानवी के नाम से एक बोटनिकल बगीची बनी हुई है, जिसमें औषधीय पौधे लगाए गए हैं। जो भी पौधे इस बगीची में लगाए गए हैं, उनकी किस्में बाहर बहुत ही कम देखने को मिलती है। इस बगीची में प्रेक्टिकल का भी आयोजन किया जाता है। इसी के साथ-साथ कालेज लाइब्रेरी में साहिर की लिखी किताबों का भी एक कार्नर बनाया हुआ है। कालेज विद्यार्थी विशेष उत्साह के साथ इस सेक्शन में दिलचस्पी दिखाते हैं।
महान शायर के नाम से है आडिटोरियम
कालेज ने अपने इस पूर्व छात्र की फोटो प्रिंसिपल कार्यालय के सामने बरामदे में लगाई हुई है। इसके अलावा कालेज के आडिटोरियम का नाम भी साहिर लुधियानवी के नाम से रखा गया है। इस आडिटोरियम में 400 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। कालेज के अधिकतर बड़े कार्यक्रम इसी आडिटोरियम में होते थे। हर वर्ष 8 मार्च को साहिर के जन्मदिन पर कालेज में शायरी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जहां पर विभिन्न राज्यों के शायर पहुंचते हैं। इसके अलावा कई बार एक शाम साहिर के नाम गीतों भरी शाम का भी आयोजन किया जाता है।
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