Punjab Election 2022: डेरा प्रेमी बाेले-गुरु जी जिसे कहेंगे उसी काे वाेट, अब राजनीतिक विंग के फैसले पर सबकी नजर
Ram Rahim Effect In Punjab Electionः डेरे के राजनीतिक विंग के चेयरमैन राम सिंह ने कहा कि डेरा मुखी की फरलो को चुनाव के साथ जोड़कर न देखा जाए। इसके साथ ही यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल और नेता उस समय डेरे से मुंह मोड़ गए थे

बठिंडा, [गुरप्रेम लहरी]। Punjab Election 2022ः डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के फरलो मिलने के बाद भले ही वह गुरुग्राम चले गए हैं लेकिन पंजाब में सियासत गर्मा गई है। डेरा प्रबंधन ने अनुयायियाें काे सिरसा आने से मना कर दिया है। डेरा मुखी को मिली फरलो को पंजाब चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि दिसंबर 2021 में सलाबतपुरा में डेरे ने बड़ी सभा करके शक्ति प्रदर्शन भी किया गया था।
चेयरमैन राम सिंह ने कहा-डेरा प्रमुख का आदेश होगा मान्य
हालांकि डेरे के राजनीतिक विंग के चेयरमैन राम सिंह ने कहा कि डेरा मुखी की फरलो को चुनाव से जोड़कर न देखा जाए। इसके साथ ही यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल और नेता उस समय डेरे से मुंह मोड़ गए थे जब हम मदद के लिए उनके पास गए थे। जनसभाओं में और लोगों से बातचीत करते समय यह नेता डेरे का नाम लेने से भी कतराते थे। ऐसे नेताओं को डेरा प्रेमी मुंह नहीं लगाएंगे और कोई भी अनुयायी उनको वोट नहीं देगा। डेरा प्रेमियों का कहना है कि डेरा मुखी जिसे कहेंगे उसे ही वोट दी जाएगी। डेरा प्रेमी गुरमेल सिंह ने कहा के सभी प्रेमी एकजुट हैं जहां पर डेरा प्रमुख का आदेश होगा वहीं वोट दिया जाएगा।
2014 में की थी भाजपा की मदद
1988 से डेरे के साथ जुड़े डेरा प्रेमी करतार सिंह ने कहा कि जिन लोगों को आजमाया जा चुका है उन्हें वोट नहीं दिया जाएगा। डेरे का राजनीतिक विंग नए विकल्पों पर विचार कर रहा है। हमने 2007 और 2012 में डेरे के आदेश पर एक बार कांग्रेस और दूसरी बार अकाली दल को वोट दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में हमने भाजपा प्रत्याशियों की मदद की थी। वहीं मनप्रीत सिंह ने कहा कि राजनीतिक विंग जल्द की फैसला करेगा कि किसे वोट देना है।
डेरा प्रेमियों को डेरे में आने से रोका
डेरा प्रबंधन ने संगत से कहा है कि कहां आना है, कैसे आना है, कितने लोगों ने आना है, यह बाद में बताया जाएगा। क्योंकि फरलो के साथ ही कुछ आदेश भी दिए गए हैं और उनका पालन किया जाएगा। डेरा प्रबंधन के आदेश के बाद डेरे के पंजाब के हेडक्वार्टर डेरा सलाबतपुरा में ज्यादा हलचल देखने को नहीं मिली।
विचित्र स्थिति में फंसे नेता
पंजाब में राजनीतिक दलों में डेरा मुखी के बाहर आने से हलचल बढ़ गई है। परंतु उनके नेताओं के लिए विचित्र स्थिति बन गई है। क्योंकि अगर वह वोट मांगने डेरे में जाते हैं तो लोग उनका विरोध कर सकते हैं। अगर डेरे में नहीं जाते तो डेरा प्रेमी उनसे रूठ सकते हैं। ऐसे में कई दलों के उम्मीदवार असमंजस में फंस गए हैं।
पंजाब में 250 शाखाएं, मालवा में ज्यादा प्रभाव
डेरा सच्चा सौदा की पंजाब में करीब 250 छोटी-बड़ी शाखाएं हैं। हालांकि डेरे की पूरे पंजाब में शाखाएं हैं लेकिन मालवा में डेरे का ज्यादा आधार है। इसलिए माना जाता है कि डेरे का मालवा में चुनाव पर सीधे तौर पर असर पड़ता है। डेरे का राजनीतिक विंग ही राजनीति से जुड़े फैसलों में अहम रोल अदा करता है। पंजाब में 2007, 2012 व 2017 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। इसके अलावा 2014 के लोकसभा चुनाव में भी डेरे ने खुलकर एक पार्टी को समर्थन किया था।
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