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    Punjab: ग्लाडा में गोलमाल! मर चुके लोगों की तैयार करते थे जाली पॉवर ऑफ अटॉर्नी, मामले में दो अफसर समेत 13 नामजद

    Updated: Fri, 09 Feb 2024 01:40 PM (IST)

    Punjab Latest News ग्लाडा ऑफिस में चल रहे जमीनों के फर्जी डॉक्यूमेंट्स के घपले के बाद विभाग के दो अधिकारियों समेत 13 लोगों को नामजद करने के बाद परतें खुलने लगी हैं। जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने इस मामले में आरोपितों ने साढ़े पांच करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर डाली थी। धांधली में 88 फाइलें गायब कर दी गई थी

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    Punjab Police: जाली दस्तावाजों के घपले के बाद एक्शन में पंजाब पुलिस, दो अधिकारियों समेत 13 नामजद

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। ग्लाडा ऑफिस में चल रहे जमीनों के जाली दस्तावेजों के घपले के बाद विभाग के दो अधिकारियों समेत 13 लोगों को नामजद करने के बाद परतें खुलने लगी हैं। इन आरोपितों ने सेटिंग के साथ ग्लाडा की 88 फाइलें चोरी करके उसकी जगह फर्जी दस्तावेजों की फाइलें लगा दी थीं। इनमें से 28 फाइलें पुलिस को मिल गईं, लेकिन 60 फाइलें अभी तक गायब हैं।

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    तीन आरोपियों से चल रही पूछताछ

    गिरफ्तार तीन आरोपितों से पूछताछ में मामले में लुधियाना के कई बड़े भू-माफिया, राजनीतिज्ञों और अधिकारियों की शमूलियत का पता चला है। पुलिस कमिश्नर कुलदीप सिंह चहल ने कहा कि पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ जारी है। ग्लाडा के कुछ अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों को भी इस जांच में शामिल किया जा रहा है। कुछ दिन पहले रेस्टोरेंट मालिक दीपक को 331 गज का दुगरी इलाके में एससीओ दिखाकर उनसे 1.25 करोड़ में बयाना कर लिया गया था।

    ग्लाडा की ओर से की गई है जमीन अलॉट

    इस मामले में आरोपितों ने साढ़े पांच करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर डाली थी। इसके बाद पुलिस ने गत बुधवार को प्रापर्टी डीलर मंदीप सिंह बावा, प्रापर्टी डीलर व एजेंट उपजीत सिंह और क्लर्क अमित कुमार की पत्नी मीनाक्षी को गिरफ्तार कर लिया था। मीनत्री से पांच लाख कैश पुलिस को बरामद हुआ था। वहीं उपजीत सिंह ने पुलिस को 28 फाइलें बरामद करवाईं। इनमें कुछ फाइलें तो ग्लाडा की तरफ से लोगों को अलॉट की गई जमीनों की हैं।

    प्रॉपर्टी डीलरों व अफसरों ने गायब कर दी थीं 88 फाइलें

    कई बड़े भू-माफिया, राजनीतिज्ञों और अधिकारियों की शमूलियत मर चुके लोगों की तैयार करते थे जाली पावर ऑफ अटार्नी आरोपितों की पूछताछ में पता चला कि वह अखबारों में लगने वाले ग्लाडा के इश्तिहार पर नजर रखते थे कि विभाग के पास कौन-कौन से एससीओ हैं, जोकि अलॉट होने हैं। जब उन्हें प्रापर्टी के बारे में पता चलता था तो पता करते थे कि उसका मालिक कहां है? वो मर चुका है या फिर विदेश में है।

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    भू-माफियाओं को एक से दो लाख में बेची जाती थी फाइल

    इसके बाद ग्लाडा के अधिकारियों की मदद से उक्त एससीओ की पुरानी फाइल को निकलवा भू-माफिया को एक से दो लाख में बेची जाती थी। इसकी बैकडेट में जाली पावर आफ अटार्नी तैयार की जाती थी। फिर आरोपित उसी प्रापर्टी की एक नई फाइल तैयार करते थे।

    पुरानी फाइल को हटा दिया जाता था और नई फाइल को में नए मालिक के नाम के साथ दोबारा विभाग में लगा दिया जाता था। इसके बाद नए मालिक की मदद से जमीन की अलाटमेंट किसी दूसरे को दिलवा दी जाती थी, जिसके बदले में करोड़ों रुपये की कमाई की जाती थी।

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