परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में लुधियाना की प्रतिभा से बोले पीएम मोदी- बच्चों पर न डालें अपने सपनों का बोझ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में बुधवार शाम को सवाल करने वाली लुधियाना की अभिभावक प्रतिभा गुप्ता उनके जवाब से काफी प्रभावित हुईं। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें ऐसा पाठ पढ़ाया जिसे वह जीवन भर नहीं भूल पाएंगी।
लुधियाना, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में बुधवार शाम को सवाल करने वाली लुधियाना की अभिभावक प्रतिभा गुप्ता उनके जवाब से काफी प्रभावित हुईं। लुधियाना के कुंदन विद्या मंदिर की छात्रा की मां प्रतिभा ने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि हमें हमेशा काम करवाने के लिए बच्चों के पीछे भागना पड़ता है। हम कैसे उन्हें सेल्फ मोटिवेट बना सकते हैं, ताकि वह अपनी चीजें खुद कर सकें? इस सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें ऐसा पाठ पढ़ाया, जिसे वह जीवन भर नहीं भूल पाएंगी। प्रधानमंत्री का कहना था कि आप बुरा न मानें तो इस विषय पर मैं आपसे अलग राय रखता हूं।
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मुझे लगता है कि बच्चों के पीछे हमें इसलिए भागना पड़ता है, क्योंकि उनकी रफ्तार हमसे ज्यादा है। यह बात सही है कि बच्चों को पढ़ाने की, समझाने की और संस्कार देने की जिम्मेदारी परिवार के सभी की है। लेकिन कई बार बड़े होने के बावजूद हमें भी तो मूल्यांकन करना चाहिए। हम एक सांचा तैयार कर लेते हैं और बच्चे को उसमें ढालने की कोशिश करते हैं। समस्या यहीं से शुरू हो जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इसे सोशल स्टेट््स का ङ्क्षसबल बना लेते हैं। माता-पिता अपने मन में कुछ लक्ष्य तैयार कर लेते हैं। कुछ पैरामीटर बना लेते हैं और कुछ सपने भी पाल लेते हैं। अपने उन लक्ष्यों और सपनों को पूरा करने के लिए सारा बोझ बच्चों पर डाल देते हैं।
बच्चों को इंस्ट्रूमेंट न समझें, उन्हें ट्रेनिंग दें
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको मेरे शब्द कठोर लगेंगे, लेकिन जाने अनजाने में हम बच्चों को इंस्ट्रूमेंट मानने लगते हैं। जब बच्चों को उस दिशा में पहुंचाने में विफल हो जाते हैं तो कहने लगते हैं कि बच्चों में मोटिवेशन की कमी है। मोटिवेशन करने का पहला पार्ट है ट्रेनिंग। एक बार बच्चे का मन ट्रेंड हो जाएगा, तो उसके बाद मोटिवेशन का समय शुरू हो जाएगा। ट्रेङ्क्षनग के कई माध्यम हो सकते हैं। अच्छी किताब, अच्छी मूवी, अच्छी कहानियां, अच्छी कविताएं, अच्छे मुहावरे या अच्छा अनुभव। यह सब ट्रेनिंग के ही टूल्स हैं। जैसे की आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सुुबह उठकर पढ़े। आप उसे कहते हैं, बोलते हैं, डांटते हैं। लेकिन आपको सफलता नहीं मिलती।
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क्या आपके घर में कभी ऐसी किताबों की चर्चा होती है, जिसमें सुबह उठने के फायदों की चर्चा हो। हमारे यहां आध्यात्मिक जीवन के लोगों का ब्रह्म मुहूर्त से ही दिवस शुरू हो जाता है। अब वह उसी के नाम्र्स का पालन शुरू हो जाता है। आपने घर में किसी ऐसी किताब या मूवी देखी, जिसमें वैज्ञानिक व तर्कबद्ध तरीके से इमोशन के साथ बातें बताई गई हों। इसे एकबार करके देखें। सुबह उठने के लिए बच्चे की ट्रेङ्क्षनग खुद ही हो जाएगी। एक बार मनप्रेम हो गया। बच्चा समझ गया कि सुबह उठने का क्या फायदा है। वह खुद मोटिवेट हो जाएगा।
पीएम तक कैसे पहुंचा प्रतिभा का सवाल
हैबोवाल की दुर्गापुरी की प्रतिभा ने बताया कि मार्च में स्कूल की ओर से सूचना दी गई थी कि प्रधानमंत्री के साथ परीक्षा पर चर्चा विषय में अभिभावक भी जुड़ सकते हैं। इसके लिए उन्हें 500 शब्दों में लेख लिखना है। 28 मार्च को शिक्षा मंत्रालय से डा. आनंदिता का फोन आया कि उनके लेख चयन कर लिया गया है। वह सात अप्रैल को होने वाली चर्चा में प्रधानमंत्री से एक सवाल पूछ सकती हैं। प्रतिभा कहती हैं कि फोन आना ही उनके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था।
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