पंजाब में गिरते भूजल पर लगेगी ब्रेक, अब बूंद-बूंद से होगी धान की सिंचाई; पानी के साथ बचेगी बिजली
एक एकड़ में रोपी गई धान को पकने तक सिंचाई में करीब 64 लाख लीटर पानी लग जाता है जबकि तुपका सिंचाई के तहत महज 33 लाख लीटर पानी का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक से करीब 48 प्रतिशत पानी की बचत होती है।

आशा मेहता, लुधियाना। पंजाब में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। हालात यह है कि हर वर्ष औसतन आधा मीटर पानी नीचे होता जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह गेहूं और धान का फसली चक्र है। धान को एक तरह से पानी पीने वाली फसल भी कहा जाता है। पारंपरिक विधि में धान के पौधों को पहले नर्सरी में उगाया जाता है, फिर उन्हें पानी से भरे खेत में रोपा जाता है। रोपाई के बाद पहले तीन-चार हफ्तों तक खेतों में चार-पांच सेंटीमीटर पानी सुनिश्चित करने के लिए धान की फसल को रोजाना पानी देना पड़ता है।
इसमें पानी की अधिक खपत होती है, जिस कारण पंजाब में भूजल स्तर नीचे जा रहा है। इस भयावह स्थिति को देखते हुए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के सायल एंड वाटर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के वैज्ञानिकों ने डिप इरीगेशान (तुपका सिंचाई) के जरिए धान की खेती की नई विधि ढूंढ़ निकाली है। अहम बात ये है कि वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तकनीक से खेती की उपज पारंपरिक विधि से लगाई गई धान की उपज के बराबर रही है।
नई विधि में 48 प्रतिशत तक पानी और बिजली की बचत
डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल साइंटिस्ट (प्लास्टिक कल्चर) डा. राकेश शारदा कहते हैं कि पारंपरिक खेती में केवल 30 से 40 प्रतिशत पानी की फसल को लगता है, बाकी बर्बाद हो जाता है। एक एकड़ में रोपी गई धान को पकने तक सिंचाई में करीब 64 लाख लीटर पानी लग जाता है। तुपका सिंचाई के तहत महज 33 लाख लीटर पानी का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक से 48 प्रतिशत पानी की बचत होती है। ऐसे में 48 प्रतिशत बिजली भी बचेगी।
तुपका सिंचाई की प्रक्रिया
डा. राकेश शारदा के मुताबिक तुपका सिंचाई एक ऐसा माध्यम है, जिसमें फसलों की जड़ में बूंद-बूंद करके पानी दिया जाता है। इसमें एक खेत के अंदर छेद वाली पाइपें बिछाई जाती है और उसे एक टैंक के साथ जोड़ा जाता है। टैंक में पड़े पानी को पंपों के जरिए पाइपों में छोड़ा जाता है। इसके बाद पाइपों की छेद के अंदर से बूंद-बूंद करके पानी फसल को मिलता है। तुपका सिंचाई से फसल अच्छी और ताकतवर होती है।
सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही
डा. शारदा ने कहा कि तुपका सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से सिस्टम स्थापित करने के लिए सब्सिडी भी दी जा रही है। इसके तहत जनरल कैटेगरी के किसान को 80 प्रतिशत, एससी-बीसी, महिलाओं व दिव्यांगों को 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। सब्सिडी सायल एंडवाटर कंजरवेशन पंजाब के जरिए उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अलावा खेतीबाड़ी विभाग से भी संपर्क किया जा सकता है।
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