Ludhiana News: निजी अस्पताल में नवजात मृत घोषित, सिविल ले गए तो जीवित मिला; फिर हो गई मौत
लुधियाना के एक निजी अस्पताल में नवजात शिशु की मौत से हंगामा हो गया। परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया उनका कहना था कि बच्चे को मृत घोषित कर ट्रे में रख दिया गया था जबकि वह जीवित था। पिता ने बच्चे को सिविल अस्पताल पहुंचाया जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और डॉक्टरों से रिपोर्ट मांगी है।

जागरण संवाददाता, लुधियना। टिब्बा रोड स्थित एक निजी अस्पताल में नवजात बच्चे की मौत को लेकर हंगामा मचा रहा। बच्चे के परिवार वालों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने जन्म के बाद नवजात को मृत घोषित कर दिया। साथ ही उसे एक ट्रे में रख दिया। पिता के अनुसार उसने बच्चे को करीब से देखा तो उसके शरीर में हरकत हो रही थी।
इसके बाद वह तत्काल बच्चे को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचा। जहां उसकी हरकत जारी थी, लेकिन लगभग 40 मिनट बाद डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पिता का आरोप है कि यदि जन्म के बाद बच्चे की सही देखभाल हुई होती तो उसकी जान बच सकती थी।
उधर, मेडीसिटी हेल्थ केयर सेंटर अस्पताल की डाक्टर का कहना था कि बच्चे प्री मैच्योर पैदा हुआ था और उसकी मौत हो गई। नवजात के परिवार वालों ने अस्पताल के सामने अच्छा खासा हंगामा किया। लोगों ने सड़क को जाम कर दिया। परिजनों के हंगामा करने पर निजी अस्पताल के डाक्टर और संचालक मौके से खिसक गए।
सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें समझाया। मौके पर पहुंचे सब इंस्पेक्टर कुलविंदर सिंह का कहना था कि उन्हें इस संबंध में शिकायत मिली है। उन्होंने डाक्टरों से रिपोर्ट मांगी है। जांच के बाद ही आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
बच्चे के पिता आशु के अनुसार उसकी पत्नी पायल गर्भवती थी और उसका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। सुबह उसे अचानक दर्ज शुरू हुआ तो वह उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। निजी अस्पताल की डाक्टर ने उसकी डिलीवरी करवाई और बेटे का जन्म हुआ था।
इसके बाद डाक्टर ने कहा कि बच्चा मृत पैदा हुआ है और वह उसे ले जा सकते हैं। बच्चे के पिता के अनुसार नवजात को अस्पताल में ही एक ओर ट्रे में रखा दिया गया था। अभी वह बच्चे के संस्कार के बारे सोच रहे थे, इसी दौरान उन्हें बच्चे के शरीर में हरकत दिखी।
हालांकि डाक्टरों का कहना था कि उसकी मौत हो चुकी है। इसलिए वह उसे लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे। परिजनों का आरोप था कि निजी अस्पताल के स्टाफ ने जीवित शिशु को दो घंटे तक प्लेट में रखे रखा। उस पर कोई कपड़ा तक नहीं लपेटा गया। जबकि वह कहते रहे कि उनका बच्चा जिंदा है। लेकिन स्टाफ ने एक न सुनी।
जिसके बाद वे नवजात को सिविल अस्पताल में लेकर गए। जहां बच्चा आधे घंटे तक जिंदा था। यदि निजी अस्पताल वालों ने गंभीरता दिखाई होती तो बच्चे की जान बच सकती थी।
प्री मैच्योर डिलीवरी के कारण हुई मौत: डॉक्टर
डाक्टर सिमरनप्रीत ने कहा कि जब महिला को अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत गंभीर थी। उसकी बच्चेदानी का मुंह खुला होने के कारण स्थिति सीरियस थी। उन्होंने मरीज को रेफर कर दिया था, लेकिन परिवार वाले उसे लेकर नहीं गए।
इसी कारण प्री मैच्योर डिलीवरी करने के अलावा कोई चारा नहीं था। इसके बाद इमरजेंसी में डिलीवरी की गई, जिसमें मृत बच्चा हुआ। छह माह की डिलीवरी थी और बच्चे का जन्म 820 ग्राम था।
जांच के बाद ही अगली कार्यवाही: पुलिस
मौके पर पहुंचे सब इंस्पेक्टर कुलविंदर सिंह का कहना था बच्चे के पिता की शिकायत सुनी गई है। डाक्टरों का भी पक्ष और रिपोर्ट ली जा रही है। उसके बाद ही पुलिस अगली कार्यवाही करेगी।
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