Sahir Ludhianvi की यादों को संजोए है लुधियाना का यह कालेज, नज्माें से रूबरू करवाती है लाइब्रेरी
लुधियाना के SCD कालेज के रिकार्ड में साहिर साहिर की ग्रुप फोटो आज भी माैजूद है। साहिर की किताबों के लिए लाइब्रेरी में एक कार्नर अलग से है ताकि जो भी लाइब्रेरी में आए वह साहिर लुधियानवी की नज्मों से रूबरू हो सके।

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। मशहूर शायर व गीतकार साहिर लुधियानवी को कौन नहीं जानता। साहिर लुधियानवी लुधियाना में पले बड़े और यहीं पर उनकी स्कूली और कालेज की शिक्षा हुई। लुधियाना के जिस सतीश चंद्र धवन गवर्नमेंट कालेज (SCD Government College) में लुधियानवी ने पढ़ाई की उसने साहिर की यादों को संजोकर रखा है।
कालेज के रिकार्ड में साहिर लुधियानवी की ग्रुप फोटो है तो साहिर की किताबों के लिए लाइब्रेरी में एक कार्नर अलग से है। ताकि जो भी लाइब्रेरी में आए वह साहिर लुधियानवी की नज्मों से रूबरू हो सके। यही कालेज है जिसने साहिर लुधियानवी को एक बड़ा शायर बनने का रास्ता दिया। जी हां हम बात कर रहे हैं लुधियाना के सबसे पुराने गवर्नमेंट कालेज की। जिसे अब सतीश चंद्र धवन गवर्नमेंट कालेज के नाम से जाना जाता है।
लुधियाना का सतीश चंद्र धवन गवर्नमेंट कालेज। (कुलदीप काला)
साहिर लुधियानवी का जन्म लुधियाना में आठ मार्च 1921 में हुआ। साहिर का पूरा नाम अब्दुल हयी साहिर हुआ करता था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा खालसा हाई स्कूल में पूरी की और उसके बाद गवर्नमेंट कालेज में दाखिला लिया। 1939 में साहिर कालेज में पहुंचे। साहिर पहले भी शायरी लिखा करते थे। लेकिन कालेज में आने के बाद वह अक्सर अपने दोस्तों व सहपाठियों को अपनी शायरी सुनाया करते थे। वहीं अमृता प्रीतम से उनकी दोस्ती हो गई। हालांकि बाद में उनकी यह दोस्ती टूट गई और साहिर को कालेज छोड़ेना पड़ा।
साहिर की शायरी का असली सफर इसी कालेज से शुरू हुआ। इसके बाद वह शायरी लिखने लगे तो उन्होंने अपना नाम भी साहिर लुधियानवी रख लिया। एससीडी गवर्नमेंट कालेज ने भी अपने इस महान विद्यार्थी की याद को संजोए रखने के लिए कई उपक्रम किए।
कालेज का आडिटोरियम साहिर लुधियानवी के नाम
लुधियाना के इसी कालेज में पढ़े थे साहिर लुधियानवी। (कुलदीप काला)
कालेज का आडिटोरियम साहिर लुधियानवी के नाम से है। कालेज के जो भी कार्यक्रम होते हैं वह साहिर लुधियानवी आडिटोरियम में ही होते हैं। कालेज में साहिर के नाम से एक बगीची भी बनाई गई है। कालेज की लाइब्रेरी में उनकी नज्मों से भरी किताबों को अलग से स्थान दिया गया है। अब उनकी जन्म शताब्दी आ रही है तो कालेज ने उसे मनाने के लिए विशेष तैयारी की है। कालेज के प्रिंसिपल धर्म सिंह संधू बताते हैं कि उनके कालेज में साहिर की यादें हमेशा जिंदा रहें इसके लिए उनके नाम से आडिटोरिम बनाया गया है। उन्होंने बताया कि उनके जन्म दिन पर हर साल कालेज में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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