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    1857 की क्रांति का गवाह है लुधियाना का लाेधी किला, क्रांतिकारियों ने यहीं अंग्रेजों को घेरकर मारा, किले के नीचे रहस्यमयी रास्ता

    By Vipin KumarEdited By:
    Updated: Sun, 24 Jul 2022 04:10 PM (IST)

    मुगल राज और अंग्रेजी हुकूमत के जुल्म और 1857 के विद्रोह की गाथा संजोए साढ़े पांच सदी पुराने लोधी किले का इतिहास बड़ा राेचक है। किले को अंग्रेज सैन्य छावनी के तौर पर भी इस्तेमाल करते रहे हैं। आसपास के एरिया में ही लोगों पर जुल्म किए जाते थे।

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    लुधियाना का ऐतिहासिक लाेधी किला 1857 के विद्रोह की कई गाथाएं बताता है । (जागरण)

    दिलबाग दानिश, लुधियाना। लोधियाना से लुधियाना बने शहर की गाथा किला मोहल्ले में मौजूद लोधी किले के निर्माण से ही शुरू होती है। शहर अब पूरे विश्व में जाना जाता है। मुगल राज, अंग्रेजी हुकूमत और 1857 के विद्रोह की कई गाथाएं इसी किले से जुड़ीं हैं। 541 साल पुराने इस किले को बनाने का काम 1481 में सुल्तान सिकंदर खान लोधी के जरनैल यूसुफ खान और निहंग खान ने किया था।

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    लाेधी किले में था अंग्रेजों का पुलिस कार्यालय

    सतलुज दरिया के पास ही इसका निर्माण किया गया था और इसके आस पास ही शहर बसना शुरू हुआ था। पहले शहर को लोधीआना और बाद में लुधियाना कहा जाने लगा था। अंग्रेजों ने जब भारत पर राज करना शुरू किया तो पंजाब पुलिस का गठन किया गया। लुधियाना का पहला पुलिस कार्यालय इसी किले में बनाया गया था और प्रदेश का पुलिस ट्रेनिंग सेंटर भी यहीं शुरू किया गया। बाद में ट्रेनिंग सेंटर को फिल्लौर के किले में तबदील कर दिया गया।

    किले को अंग्रेज सैन्य छावनी के तौर पर भी इस्तेमाल करते रहे हैं और इसके आसपास के एरिया में ही लोगों पर जुल्म किए जाते थे। 1857 की पहली जंग ए आजादी के दौरान क्रांतिकारियों ने बड़ी संख्या में अंग्रेजों को मार इस किले यानी अंग्रेजों की छावनी पर कब्जा कर लिया था और स्वतंत्र राज्य का ध्वज फहरा दिया था। अंग्रेजी हुकूमत की समाप्ति के बाद भी इस किले ने शहर के इंडस्ट्री हब बनाने में सहयोग किया है। किले में पहले यार्न जांच लैब बनाई गई थी और बाद में इसे बंद कर अब इंडस्ट्री से संबंधित सरकारी आइटीआइ चल रही है।

    लुधियाना किले से नीचे है गुप्त रास्ता

    बताया जाता है कि इस किले के नीचे ही एक सुरंग है जो सतलुज दरिया में से होते हुए फिल्लौर के किले तक जाती है। मगर इसकी कोई पुष्टि नहीं करता है। कहा जाता है कि यह सुरंग महाराजा रणजीत सिंह की तरफ से बनवाई गई थी और इसका इस्तेमाल जंग के दौरान इमरजेंसी के लिए किया जाता था। इसके लिए यहां पर एक गेट बना हुआ है और रास्ता जमीन के नीचे की तरफ जाता है। मगर अब यह पूरी तरह से बंद हो चुकी है और आगे जाने का कोई रास्ता नहीं मिलता है।

    अपना अस्तित्व खो रहा है किला

    पांच सदी से ज्यादा पुराना यह किला अब अपना असिस्तत्व खो रहा है। इसकी बाहरी दीवारें छोटी ईंट से तीन फीट चौड़ी बनी थीं, जो अब टूट रही हैं और रास्त बिखर रहे हैं। इसके अंदर बने कमरे और बड़े कक्ष अब पूरी तरह से बरबाद हो चुके हैं और मिट्टी में तब्दी हो चुके हैं। गेट भी टूटा हुआ है और बड़ी बड़ा गाजर घास उगा हुआ है। यही नहीं नशेड़ी इसे नशे के अड्डे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं तो अपराधी इसे छुपनगाह के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।