रेलवे स्टेशन लुधियाना: पहले आजादी की जंग, फिर बंटवारे का खून खराबा; अब शहर को बनते देखा
लुधियाना देश के उन पहले शहरों में था जहां पर ब्रिटिश राज के दौरान रेलवे लाइन बिछाई गई थी। उस समय भारत में भाप के इंजन का निर्माण शुरू ही हुआ था। वर्ष 1870 में लुधियाना में रेलवे लाइन बिछाकर यहां पर स्टेशन बनाया गया।

दिलबाग दानिश, लुधियाना। आज हम आपके समक्ष लुधियाना रेलवे स्टेशन का इतिहास लेकर आए हैं। शहर का हर व्यक्ति कभी न कभी ट्रेन में सफर जरूर करता है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि कैसे अग्रेजों के जमाने में बना ये स्टेशन धीरे-धीरे एक जंक्शन के रूप में तब्दील हो गया। इस स्टेशन की राज्य की आर्थिक उन्नति में भी अहम भूमिका है। शहर के बीचोबीच बने रेलवे स्टेशन का इतिहास 152 साल पुराना है। ब्रिटिश राज के दौरान लुधियाना देश के उन पहले शहरों में था, जहां पर रेलवे लाइन बिछाई गई थी। तब भारत में भाप के इंजन का निर्माण शुरू ही हुआ था। वर्ष 1870 में लुधियाना में रेलवे लाइन बिछाकर यहां पर स्टेशन बनाया गया। इसी दौरान ही बद्दोवाल, साहनेवाल समेत कुछ अन्य रेलवे स्टेशन भी निर्मित किए गए थे।
पहली बार लुधियाना को 483 किलोमीटर लंबे अमृतसर-अंबाला कैंट-सहारनपुर-मेरठ-गाजियाबाद रेलमार्ग से जोड़ा गया था, जोकि मुल्तान (अब पाकिस्तान में) को दिल्ली से जोड़ती थी। इसके बाद वर्ष 1901 में लुधियाना-जाखल रेलमार्ग बनाया गया था। इसके बाद मैक्लेडगंज (बाद में नाम बदलकर मंडी सादिकगंज और अब पाकिस्तान में) से लुधियाना के लिए रेलवे लाइन को दक्षिणी पंजाब रेलवे कंपनी द्वारा 1905 में चालू किया गया था। तेज रफ्तार से दुनिया के नक्शे पर चमक बिखेरने वाले लुधियाना शहर के रेलवे स्टेशन को भी समय-समय पर दूसरे राज्यों से जोड़ा गया है। अब यह स्टेशन देश से सबसे ज्यादा व्यस्त रेलवे स्टेशनों में शुमार है।
देश की जंग-ए-आजादी में लुधियाना जिले से गदरी लहर के बलिदानी, बलिदानी सुखदेव थापर, करतार सिंह सराभा जैसे दर्जनों स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं। ये शख्सियतें इसी रेलवे स्टेशन के माध्यम से दूर दराज तक आजादी की जंग में हिस्सा लेने जाते रहे हैं। यही नहीं, आजादी के बंटवारे के समय मालवा के ज्यादातर लोग इसी स्टेशन से पाकिस्तान गए भी और वहां से आए भी।
लाखों लोगों की रोजी-रोटी का साधन है रेलवे स्टेशन
डेढ़ सदी पुराने इस रेलवे स्टेशन ने लाखों लोगों को रोजी रोटी दी है। साहनेवाल से धरमिंदर, साहिर लुधियानवी जैसे दिग्गजों ने यहीं से तरक्की की अपनी ट्रेन यहीं से पकड़ी थी। आज भी लुधियाना में रेलवे के जरिए एक लाख के करीब लोग रोजाना पूरे देश से यहां पर बिजनेस के संबंध में आते और जाते हैं। रेलवे स्टेशन शहर के मध्य और हौजरी बाजारों से सटा हुआ है और इसीलिए यहां से पूरे शहर में पहुंच भी अच्छी रहती है।
अब आधुनिकीकरण की ओर है रेलवे स्टेशन
रेलवे स्टेशन की बाहरी दीवारें आज भी इतिहास को दर्शाती हैं और इसे देखने भर से वह विरासती लगता है। मगर अब सरकार इसे आकर्षक डिजाइन और आधुनिक सुविधाओं से लैस करने जा रहा है। इस स्टेशन को अपग्रेड करने पर 400 करोड़ रुपये तक का अनुमानित खर्च किया जाएगा। इस परियोजना को जल्द शुरू किया जा रहा है और इसे पूरी तरह से बदलने की योजना बनाई जा रही है।
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