लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में भ्रष्टाचारः पूर्व चेयरमैन बालासुब्रामण्यम 38 दिन बाद भी फरार, घोटाले की जांच अटकी
Improvement Trust Scam पंजाब के बहुचर्चित इंप्रूवमेंट घाेटाले की जांच अधर में लटक गई है। 37 दिन बाद भी पूर्व चेयमैन की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। मामला दर्ज होने के बाद से पूर्व चेयरमैन और अन्य अधिकारी गायब हैं।

जागरण संवाददाता, लुधियाना। Improvement Trust Scam: इंप्रूवमेंट ट्रस्ट घोटाले की जांच अधर में लटक गई है। मुख्य आरोपित पूर्व चेयरमैन व कांग्रेस नेता रमन बाला सुब्रामण्यम विजिलेंस के हाथ नहीं आ रहा है। मामला दर्ज होने के 38 दिन बाद भी पुलिस सुब्रामण्यम तक नहीं पहुंच सकी है। यही नहीं पिछले 12 दिन में कोई नई डिवेल्पमेंट भी नहीं है और न ही विजीलेंस ने कोई गिरफ्तारी ही की है। यही कारण है कि इंप्रूवमेंट ट्रस्ट घाेटाले के मामले की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। जबकि आरोप लगे थे कि कई करोड़ रुपये का गबन प्लाटों की अलाटमेंट हुआ है।
विजिलेंस इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का रिकार्ड ले चुकी है कब्जे में
बताया जा रहा है कि रमन बालासुब्रामण्यम पहले हैदराबाद में अपना इलाज करवाने गए हुए थे और एफआइआर दर्ज होने के बाद वह वहीं से लापता हो गए। बताया जा रहा है कि उन्हें कांग्रेस के एक बड़े नेता की तरफ से संरक्षण दिलाया गया है और वह किसी अन्य राज्य में छिपे हुए हैं। पुलिस की तरफ से इस मामले में ईओ कुलजीत कौर, दो क्लर्काें को काबू किया था। उनके घर पर हुई सर्च के दौरान छह लाख रुपये की नगदी बरामद हुई बताई गई थी। विजिलेंस बड़े स्तर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का रिकार्ड भी कब्जे में ले चुकी है।
रमन बालासुब्रामण्यम पर लगे हैं गंभीर आरोप
पुलिस की तरफ से सबसे पहले 14 जुलाई को एक बूथ की पेंडिंग राशी की वन टाइम सेटलमेंट करवाने के लिए 10 हजार रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद विजीलेंस ने उसके ब्यान पर ही विजीलेंस ने 27 जुलाई को एक्स चेयरमैन रमन बालासु्ब्रामण्यम, ईओ कुलजीत कौर, सेल कलर्क प्रवीन कुमार, एसडीओ अंकित गर्ग और पूर्व चेयरमेन के पीए संदीप शर्मा को गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि रिशी बाल्मीकि नगर के प्लाटों के अलाटमेंट में बड़े स्तर पर गबन किया गया है।
आइटी एक्सपर्ट की मदद लेकर चहेतों को अलाटमेंट
रमन बालासुब्रामण्यम पर यह भी आरोप है कि रमन बाला सुबरामण्यम ने प्लाटों की अलाटमेंट के लिए पचास लाख रुपए लिए गए थे। अन्य प्लाटों की ई-आक्शन के लिए भी आइटी एक्सपर्ट की मदद लेकर चहेतों को अलाटमेंट की गई थी। यही नहीं, एलडीपी प्लाटों के आवंटन के प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में भी एक सीनियर असिस्टेंट और सुपरिंटेंडेंट तक हिस्सा पहुंचाया जाता था।
भ्रष्टाचार का खेल: आइटी की मदद से ई-आक्शन में कर दिया गोलमाल
विजिलेंस के अनुसार जांच में सामने आया है कि पूर्व चेयरमैन ने लोगों को उनकी मनमर्जी के प्लाट देने के लिए कई तरह की गड़बड़ियां की हैं। ऋषि नगर के प्लाट नंबर 106डी को अलाट करने के लिए 55 लाख रुपये चंडीगढ़ रोड स्थित प्रापर्टी एडवाइजर ने दिए थे। इसमें से 25-25 लाख रुपये (कुल 50 लाख रुपये) पूर्व चेयरमैन ने लिए थे। बाकी के पांच लाख रुपये ईओ कुलजीत कौर को दिए गए थे।
ई-आक्शन के दौरान प्लाट नंबर 102, 103, 104, 105डी आक्शन में डाले ही नहीं गए थे। 106-डी के साथ 198 एफ, 111डी, 112 डी प्लाट नंबर डाल दिए गए। इस तरह से 106 नंबर प्लाट प्रेम नाथ सूद को दे दिया गया था। इसका जिक्र भी एफआइआर में किया गया है।
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