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    Kargil Vijay Diwas: 15 दिन दुश्मन के छुड़ाए छक्के, फिर टाइगर हिल पर फहराया तिरंगा, पढ़ें पंजाब के जगरूप कलेर की वीरगाथा

    By Vipin KumarEdited By:
    Updated: Tue, 26 Jul 2022 08:44 AM (IST)

    Kargil Vijay Diwas 2022 कारगिल की विजय गाथा लिखने वाले वीर योद्धाओं में शामिल रहे जगरूप सिंह ने बताया कि उनके दादा जी सरवण सिंह और ताया सुरजीत सिंह भी फौजी थे। कारगिल की वार में दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे।

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    Kargil Vijay Diwas 2022: पंजाब के जगरूप सिंह कलेर की ड्यूटी वाली फोटो। (सौ. परिवार)

    बिंदु उप्प्ल, जगराओं (लुधियाना)। Kargil Vijay Diwas 2022: बुजुर्गाें की हमेशा यही सोच रहती थी कि उनके बेटे सेना में भर्ती होकर देश के लिए लड़ें और उनके परिवार का नाम रोशन करें। दूसरा सैनिक की शान ही अलग होती है। ऐसी ही सोच थी अमरगढ़ कलेर के रहने वाले स्व. मलकीत सिंह की, जिनके कहने पर उनके बेटे जगरूप सिंह कलेर ने फौज में सेवाएं शुरू की थी।

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    कारगिल की विजय गाथा लिखने वाले वीर योद्धाओं में शामिल रहे जगरूप सिंह ने बताया कि उनके दादा सरवण सिंह और ताया सुरजीत सिंह भी फौजी थे। उन्हीं के जज्बे से प्रभावित और पिता के कहने पर ही उन्होंने वर्ष 1995 में फौज में सेवाएं देनी शुरू कीं।

    जगरूप सिंह कलेर ने बताया कि 10वीं के बाद पठानकोट में फौज ज्वाइन की और साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। वर्ष 1999 में जब पठानकोट कैंट में तैनात थे तो पत्र आया कि सभी जवानाें को कारगिल में पोस्टिंग दे दी गई है। जम्मू-कश्मीर में पोस्टिंग के दौरान कारगिल की लड़ाई शुरू हो गई तो उन सभी आठ सिख बटालियन को कारगिल की लड़ाई में कारगिल टाइगर हिल का टास्क मिला था।

    कारगिल के वीर योद्धा जगरूप सिंह कलेर अपने परिवार के साथ। (सौ. परिवार)

    टाइगर हिल को पाकिस्तानियों से मुक्त करवाया

    छह जून 1999 को कारगिल की लड़ाई लड़ते हुए टाइगर हिल को पाकिस्तानियों से मुक्त करवाया। इसमें हमारी सेना के भी कुछ जवान बलिदान हो गए और कुछ जख्मी। हालांकि उनके साहस को देखते हुए पाकिस्तान के सैनिक डर कर भाग खड़े हुए थे। जगरूप सिंह ने बताया कि उस दौरान वे 15 दिन माइनस तापमान में रहते हुए दुश्मनों के हर हमले का जवाब दे रहे थे। 8 सिख बटालियन में सभी सिख जवान सिख थे, जोकि भारत माता की जय व वाहेगुरु जी का खालसा - वाहेगुरु जी की फतेह के उद्घोष करते हुए दुश्मन को उसकी जगह पर ढेर कर रहे थे।

    11 महीने के बाद घर आने पर हुआ स्वागत

    अंत में जब कारगिल की लड़ाई जब वे जीत गए तो एक बार उन्हें ऐसा लगा कि मानो जिंदगी ही जीत ली हो। लड़ाई के 11 महीने के बाद घर वापस आए, तब अमरगढ़ कलेर के गांव वालों ने जोरदार स्वागत किया। हर कोई उन्हें कारगिल विजेता कहकर बुला रहा था। इस पर उन्हें गर्व था। उनके परिवार में मां जसबीर कौर, पत्नी हरविंदर कौर व दो बेटे जसकरण सिंह व सुखबीर सिंह हैं।

    युवाओं से अपील- नशे को छोड़ें, देश से जुड़ें

    कारगिल विजेता जगरूप सिंह ने दैनिक जागरण के जरिये युवाओं को संदेश दिया कि नशे के कोहड़ में फंसने के बजाय फौज में भर्ती होकर देश के लिए कुछ सेवा देने की भावना रखनी चाहिए। एक फौजी ही होता है जो अपने परिवार की चिंता छोड़ देश की चिंता करता है। वह हर हमले व मुश्किल का सामना करता है।

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