कोरोना मरीजाें काे ठीक हाेने के बाद बढ़ रही घबराहट, सांसें हुईं सामान्य पर धड़कनें बेकाबू; जानें क्या है कारण
मरीज पर कोरोना का प्रभाव तीन से चार महीने तक बना रहता है। यह वायरस पीछा छोड़ने से पहले दिल का दर्द दे रहा है। अमृतसर में पांच फीसद कोरोना मरीजों को घर जाने के बाद हृदय संबंधी रोगों ने घेरा है।
अमृतसर, [नितिन धीमान]। कोरोना वायरस के कई साइड इफेक्ट्स भी सामने आ रहे हैं। गंभीर रूप से संक्रमित होकर उपचार के बाद जो लोग घर आ चुके हैं, उनकी धड़कनें असामान्य हो रही हैं। हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ रहे हैं। यानी कि कोरोना केवल दिल की धड़कनें ही नहीं बढ़ा रहा, अपितु धड़कन छीन भी रहा है। दरअसल, कोरोना वायरस सीधे मनुष्य फेफड़ों पर प्रहार करता है। यही वजह है कि मनुष्य का आक्सीजन लेवल अप्रत्याशित ढंग से गिरने लगता है। एक स्वथ्य मनुष्य का आक्सीजन लेवल 94 से अधिक होना चाहिए।
कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज का आक्सीजन लेवल 80 से भी नीचे चला जाता है। ऐसे में मरीज को तत्काल अस्पताल में ले जाने की जरूरत होती है। आक्सीजन लेवल सामान्य करने के लिए आक्सीजन स्पोर्ट व फेफड़ों को मजबूती प्रदान करने के लिए दवाएं एवं कुछ इंजेक्शन दिए जाते हैं। आक्सीजन लेवल सामान्य आने पर मरीज को अस्पताल से छुट्टी दी जाती है।
हालांकि मरीज पर कोरोना का प्रभाव तीन से चार महीने तक बना रहता है। यह वायरस पीछा छोड़ने से पहले दिल का दर्द दे रहा है। अमृतसर में पांच फीसद कोरोना मरीजों को घर जाने के बाद हृदय संबंधी रोगों ने घेरा है। खासकर वे मरीज जो पूर्व में ही दिल की बीमारियों से पीड़ित थे, उनकी तकलीफ बढ़ी है।
यह है वजह
फेफड़ों पर प्रहार करने के साथ ही कोरोना वायरस शरीर में रक्त के थक्के जमा देता है। इससे खून गाढ़ा होने लगता है। खून पतला करने के लिए अस्पताल में मरीज को जरूरी इंजेक्शन लगाए जाते हैं, पर घर पहुंचकर पुन: खून के गाढ़ा होने का खतरा बना रहता है। इसके अतिरिक्त घर आने वाले मरीज कोरोना की दहशत, डर की वजह से तनाव में भी जा रहे हैं। श्री गुरु रामदास अस्पताल के मेडिसिन रोग विशेषज्ञ डा. मनिंदर सिंह के अनुसार कोरोना संक्रमण से फेफड़े कमजोर होने से धड़कनों पर प्रभाव पड़ रहा है।
उनके संपर्क में ऐसे कई मरीज हैं, जो पोस्ट कोविड सिंड्रोम से जूझ रहे हैं। इनमें हृदय संबंधी रोगों का शिकार मरीजों की संख्या ज्यादा है। यदि कोरेाना मुक्त हुए व्यक्ति की धड़कनें प्रति मिनट 120 से अधिक हैं तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करें। अधिक आयली व फैटी आहार का सेवन न करें। कोरोना संक्रमण के दौरान डाक्टर ने जो दवाएं बताई थीं, उनका नियमित रूप से सेवन करते रहें। घर का बना खाना ही लें। रात को भरपूर नींद लें। योग करें। तीन से चार लीटर पानी का सेवन करें।