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    Fatehgarh Sahib Tourist Spot: युद्ध भूमि के नाम से जाना जाता है यह शहर, शहीदी जोड़ मेले से मिली पहचान

    By Vipin KumarEdited By:
    Updated: Sat, 15 Oct 2022 06:09 PM (IST)

    Fatehgarh Sahib Tourist places फतेहगढ़ साहिब पर्यटन का खजाना है। यहां जाे एक बार आ गया वह इस शहर का मुरीद बन जाता है। इस शहर का विशेष महत्व प्रसिद्ध गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब के ही कारण है।

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    Fatehgarh Sahib Tourist places: फतेहगढ़ साहिब पर्यटन का खजाना है। (फाइल फाेटाे)

    आनलाइन डेस्क, लुधियाना। Fatehgarh Sahib Tourist places: सर्दियाें में घूमने के लिए पंजाब काफी फेमस है। यहां के धार्मिक और दर्शनीय स्थल आपका मन माेह लेंगे। ऐसा ही एक शहर है श्री फतेहगढ़ साहिब। इस शहर का पंजाब के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है और इसे युद्ध भूमि के रूप में भी जाना जाता है। फतेहगढ़ साहिब पर्यटन का विशेष महत्व, प्रसिद्ध गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब के कारण है। दिसंबर के महीने में मनाया जाने वाला शहीदी जोड़ मेला फतेहगढ़ साहिब पर्यटन का एक अभिन्न हिस्सा है। यह मेला शहीद नायकों के बलिदान की याद में मनाया जाता है।

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    फतेहगढ़ साहिब कैसे पहुंचे

    फतेहगढ़ साहिब पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से 42 किमी दूर है और सडक द्वारा यह दूरी तय करने में 52 मिनट का ही समय लगता है। यहां रेलवे स्टेशन है। पर्यटक ट्रेन से सरहिंद रेलवे स्टेशन तक पहुंचा जा सकता है। यह फतेहगढ़ साहिब से लगभग 5 किमी दूर है। फतेहगढ़ साहिब जाने का सबसे अच्छा समय फतेहगढ़ साहिब का मौसम उत्तर भारत के अन्य हिस्सों की तरह ही है। यह शहर गर्मी में अत्यधिक गर्म, ठंड में अत्यधिक ठंडा और मानसून में ठंडा और उमस भरा होता है। यहां जाने का सबसे उत्तम समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है. इस दाैरान यहां का मौसम सुहावना होता है। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से यहां पहुँचने में केवल 4 घंटे 26 मिनट का समय लगता है।

    गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादाें ने दी थी शहादत

    फतेहगढ़ साहिब ऐतिहासिक शहर है। इसी जगह पर दशमेश पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों साहिबज़ादाें फ़तेह सिंह और जोरावर सिंह ने शहादत दी थी। इन्हें सरहिंद के फौजदार वज़ीर खान ने दीवार में जिंदा चिनवा दिया था। इसकगा कारण यह था कि दोनों ने धर्म परिवर्तन करने से इनकार कर दिया था। ऐतिहासिक एवं विविध फतेहगढ़ साहिब का अर्थ है, ‘विजय का शहर’। यह शहर सिखों की विजय एवं स्वतंत्रता का प्रतीक है।

    1710 में हुए युद्ध में सिखों की हुई थी जीत

    वर्ष 1710 में बंदा बहादुर के नेतृत्व में सिखों और मुस्लिमाें के मध्य भयंकर युद्ध हुआ था। इसमें सिखों की जीत हुई और उन्होंने बलबन के शासनकाल में निर्मित किले को नष्ट कर दिया था। यह शहर चार दरवाजों से घिरा है जो क्रमशः दीवान टोडरमल, नवाब शेर मुहम्मद खान, बाबा बंदा सिंह बहादुर और बाबा मोतीराम मेहरा को समर्पित हैं। इन दरवाजों का अत्यधिक पुरातात्विक महत्व है और ये इस स्थान की सांस्कृतिक विभिन्नता और धर्म निरपेक्षता को भी दर्शाते हैं।

    यह है फतेहगढ़ साहिब के प्रमुख पर्यटन स्थल

    फतेहगढ़ साहिब में कई प्रमुख पर्यटन स्थल आकर्षण हैं। इनमें संघोल, आम ख़ास बाग, माता चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर, फ्लोटिंग रेस्तरां और अन्य कई स्थल सम्मिलित हैं। गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब सिखों का एक मुख्य धार्मिक स्थल है। वर्ष 1704 में साहिबजादा फतेह सिंह और साहिबजादा जोरावर सिंह को सरहिंद के फौजदार वजीर खान के आदेश पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। यह गुरुद्वारा उन्हीं की शहादत की याद में बनाया गया था। गुरुद्वारा के अंदर परिसर में कई प्रसिद्ध संरचनाएं हैं, जैसे कि गुरुद्वारा भोरा साहिब, गुरुद्वारा बुर्ज माता गुजरी, गुरुद्वारा शहीद गंज, टोडरमल जैन हॉल एवं सरोवर। वहीं बैसाखी पर गुरुद्वारा गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब में भारी संख्या में संगत उमड़ती है।

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