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    Surjit Patar Death: पंजाबी कवि डॉ. सुरजीत पातर का निधन, साहित्य जगत में शोक की लहर

    पंजाब के प्रसिद्ध कवि डॉ. सुरजीत पातर के निधन (Surjit Patar Death) की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। शुक्रवार तक उनकी हालत ठीक बताई जा रही थी। जबकि शनिवार सुबह उनके निधन की खबर सामने आ गई। वो बीते कई सालों से लुधियाना में ही रह रहे थे। उनकी कविताएं आम जन को काफी पसंद थी।

    By Jagran News Edited By: Deepak Saxena Updated: Sat, 11 May 2024 04:23 PM (IST)
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    पंजाबी कवि डॉ. सुरजीत पातर का निधन (फाइल फोटो)।

    जागरण संवाददाता, लुधियाना। पंजाब में दिन की शुरूआत साहित्य जगत के लिए बेहद दुखद हुई। पंजाब के प्रसिद्ध कवि डॉ. सुरजीत पातर का निधन हो गया है। बताया जा रहा है शुक्रवार रात तक डॉ. पातर बिल्कुल ठीक थे और शनिवार सुबह वह उठे ही नहीं।

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    पंजाबी कवि, लेखक डॉ. सुरजीत पातर नहीं रहे। दिल का दौरा पड़ने के चलते उनकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि डॉ. पातर शुक्रवार रात तक बिल्कुल स्वास्थ्य थे और शनिवार सुबह वह उठे नहीं। डॉ. पातर का जन्म 14 जनवरी, 1945 को जिला जालंधर के पतड़ कलां गांव में हुआ था। उन्होंने अपना नाम भी गांव के नाम से रखा। 79 वर्षीय डॉ. सुरजीत पातर पिछले काफी सालों से लुधियाना रह रहे थे। आशापुरी स्थित निवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। सोमवार सुबह 11 बजे माडल टाउन एक्सटेंशन शमशान घाट में डॉ. पातर का अंतिम संस्कार किया जाना है।

    पंजाबी प्रोफेसर के रूप में दे चुके सेवाएं

    डॉ. पातर अपने पीछे पत्नी भूपिंदर कौर पातर, दो बेटों अंकुर पातर और मनराज पातर को छोड़ हैं। डॉ. सुरजीत पातर ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से मास्टर डिग्री की और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर से पीएचडी की। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय(पीएयू) में पंजाबी प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दी है और यहीं से सेवानिवृत भी हुए। पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना के वह प्रधान रह चुके हैं। इसके अलावा पंजाब आटर्स कौंसिल चंडीगढ़ के भी अध्यक्ष रहे।

    पद्मश्री पुरस्कार से हो चुके सम्मानित

    साल 2012 में सरकार की तरफ से साहित्य क्षेत्र में अहम उपलब्धियों के चलते उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। साल 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है। डॉ. पातर ने कई कविताएं हनेरे विच सुलगदी वर्णमाला, हवा विच लिखे हर्फ, शब्दों का मंदिर, लफ्जां दी दरगाह, पतझड़ दी पाजेब इत्यादि लिखी है। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है।

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