चमकेगा कपड़ा उद्योग, पंजाब की मंडियों में कॉटन की बंपर आवक
पंजाब की मंडियोें में इस बार कॉटन बंपर आवक हो रही है। सीजन की शुरूआत में ही कॉटन की 7.70 लाख गांठें आ चुकी हैं। इससे इस बार कपड़ा उद्योग को लाभ की उम्मीद है।
लुधियाना, [राजीव शर्मा]। पंजाब की मंडियों में इस बार कॉटन की आवक रिकार्ड तोड़ सकती है। राज्य की मंडियों में इस सीजन में अब तक 7.70 लाख गांठें कॉटन की आमद हो चुकी है। सीजन के दौरान कुल 10.50 लाख गांठें कॉटन आने का अनुमान लगाया गया है। इससे कपड़ा उद्योग को काफी फायदा होने की उम्मीद है।
पंजाब की मंडियों में अब तक 7.70 लाख गांठें कॉटन की आमद
पिछले साल राज्य में कॉटन के तहत रकबा 2.85 लाख हेक्टेयर था, जो चालू सीजन में बढ़कर 3.85 लाख हेक्टेयर हो गया। अगले सीजन में रकबा चार लाख हेक्टेयर को पार कर सकता है। देश की मंडियों में अब तक 70 फीसद यानी 245 लाख गांठें (प्रति गांठ 170 किलो) कॉटन आ चुकी है, जो पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 10 से 15 फीसद तक अधिक है।
मांग के मुकाबले कॉटन की उपलब्धता अधिक, स्थिर रहेंगे दाम
31 मार्च तक 300 लाख गांठों से अधिक माल मंडियों में पहुंचने का अनुमान है। सीजन के दौरान कुल 370 लाख गांठें बाजार में आने का आकलन है। घरेलू बाजार में कॉटन की उपलब्धता मांग के मुकाबले अधिक है। साफ है कि दाम स्थिर रहेंगे। दूसरी तरफ करंसी में उठापठक के चलते चालू कॉटन वर्ष (अक्टूबर से सितंबर तक) में निर्यात पिछले साल के मुकाबले कुछ कम होने की संभावना है।
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काबिलेजिक्र है कि चालू वर्ष के दौरान कॉटन के तहत रकबा 107 लाख हेक्टेयर के मुकाबले पंद्रह फीसद की बढ़त के साथ 123 लाख हेक्टेयर हो गया, लेकिन तेलंगाना, महाराष्ट्र एवं गुजरात के कुछ हिस्सों में गुलाबी सुंडी के हमले के चलते देश में प्रति हेक्टेयर उत्पादन पिछले साल के औसतन 545 किलो प्रति हेक्टेयर के मुकाबले कम होकर औसतन 514 किलो प्रति हेक्टेयर रह गया, जबकि पंजाब में प्रति हेक्टेयर उत्पादन करीब 487.7 किलो आ रहा है।
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देश में कॉटन की मांग करीब 330 लाख गांठों की है। इनमें 315 लाख गांठें छोटी एवं बड़ी कपड़ा मिलों की मांग है, जबकि 15 लाख गांठों की मांग खुले बाजार में रहती है। 55 लाख गांठें निर्यात होने की संभावना है। इस सीजन में कॉटन का पुराना स्टॉक चालीस लाख गांठों से अधिक का था। इसके अलावा पंद्रह से बीस लाख गांठें कॉटन आयात भी होगा।
वर्धमान टेक्सटाइल लिमिटेड के डायरेक्टर एवं कॉटन एक्सपर्ट आइजे धुरिया का कहना है कि कॉटन की बेहतर आवक के चलते पिछले साल नरमा के दाम इसी अवधि में 5500 रुपये प्रति क्विंटल थे। इस सीजन में दाम 5200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है। धुरिया का कहना है कि पिछले साल निर्यात 59 लाख गांठों का था, तब डालर के मुकाबले रुपया 68 के स्तर पर था, लेकिन अब यह 64 से कुछ अधिक है।
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उन्होंने कहा कि रुपये की मजबूती के चलते विश्व बाजार में भारतीय कॉटन महंगी पड़ रही है। तभी निर्यात 55 लाख गांठें ही होगा। उनका मानना है कि फिलहाल कॉॅटन मार्केट में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बना हुआ है, ऐसे में कॉटन की कीमत बढ़ने की संभावना नहीं है।