World Population Day: पंजाब स्किल डेवलपमेंट मिशन से बेरोजगारों को मिल रहा प्रशिक्षण, युवा पकड़ रहे स्वावलंबन की राह, महिलाएं भी बनी आत्मनिर्भर
सुरिंदर सिंह का कहना है कि शहरी आजीविका मिशन गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले उन युवकों के लिए है जिनके परिवार की आय 3 लाख रुपये से कम है। मिशन के तहत डाटा एंट्री आपरेटर कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव फैशन डिजाइनर फिटर मैकेनिक असेंबल आदि पाठ्यक्रम करवाए जा रहे हैं।

विक्की कुमार, अमृतसर: पंजाब सरकार की अनूठी पहल से जिले के युवा जहां स्वावलंबन की राह पकड़ रहे हैं, वहीं महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं। पंजाब स्किल डेवलपमेंट मिशन के तहत बेरोजगार युवाओं को अलग-अलग कार्यों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए जिले में 14 प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं। इन केंद्रों में पिछले दो वर्षों में 3,963 युवकों को निशुल्क प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा चुका है।
विशेष बात यह है कि इन केंद्रों में ग्रामीण युवाओं को छात्रावास, पुस्तकों और खाने-पीने की सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। मिशन के तहत राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0 की परियोजनाएं चल रही हैं। इसके तहत तीन से छह माह तक के पाठ्यक्रम चलते हैं। चार घंटे की कक्षा में अलग-अलग पाठ्यक्रम करवाए जा रहे हैं। इन पाठ्यक्रमों 18 से 35 वर्ष की आयु के लोग प्रवेश ले सकते हैं। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं कक्षा उत्तीर्ण होना है।
मिशन के ब्लाक थिमैटिक मैनेजर (सोशल मोबिलाइजेशन) सुरिंदर सिंह का कहना है कि शहरी आजीविका मिशन गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले उन युवकों के लिए है, जिनके परिवार की आय 3 लाख रुपये से कम होती है। इस मिशन के तहत खाद्य और पेय पदार्थ, डाटा एंट्री आपरेटर, कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव, फैशन डिजाइनर, फिटर मैकेनिक असेंबल आदि पाठ्यक्रम करवाए जा रहे हैं।
सुरिंदर सिंह बताते हैं कि साल 2021-22 के लिए उन्हें शहरी आजीविका मिशन के तहत 1,710 युवाओं का लक्ष्य दिया गया था। इनमें से 1,666 युवक प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं। दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत वर्ष 2021-24 तक के लिए 1,139 युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य दिया गया है। इनमें से से 657 युवा प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं। पीएम कौशल विकास योजना 3.0 में 150 युवाओं का लक्ष्य दिया गया था। परियोजना के तहत 150 युवा प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं।
महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए सहायता समूह कर रहे काम
जिला प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उनकी सहायता कर रहा है। जिले में अब तक करीब 750 स्वयं सहायता समूह बनाए जा चुके हैं। प्रत्येक समूह में 10 से 15 महिलाओं को शामिल किया गया है। इन समूहों को प्रशासन की तरफ से अलग-अलग तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें कृषि विज्ञान केंद्र, आर्गेनिक फार्मिंग, डेकोरेशन आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।
जिला प्रशासन की तरफ से गांवों में बनाए गए स्वयं सहायता समूहों की 26 महिला सदस्यों को लघु सचिवालय में नौकरी पर भी रखा गया है। इन्हें यहां सफाई का जिम्मा दिया गया है। इन्हें डीसी रेट पर वेतन मिल रहा है। इनकी आठ घंटे की ड्यूटी होती है। एडीसी (डी) रणबीर सिंह मूधल कहते हैं कि अगर प्रशासन की यह योजना सफल रही तो अशिक्षित और गरीब महिलाओं को रोजगार मिलेगा।
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