Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    International Yoga Day 2022: उद्गीथ प्राणायाम से शरीर में रक्त संचार रहता है उत्तम, योगाचार्य से जाने इसे करने की सही विधि

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Sat, 18 Jun 2022 04:36 PM (IST)

    International Yoga Day 2022 उद्गीथ प्राणायाम में आंखें बंद करके गहरा श्वास लेकर ओम का उच्चारण किया जाता है। इसके कारण व्यक्ति के चेहरे पर एक दिव्य निखार आता है। रोजाना इसका अभ्यास करने से शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

    Hero Image
    उद्गीथ प्राणायाम के बारे में बताते हुए योगाचार्य रजनीश कुमार। फाइल फोटो

    जासं, जालंधर। International Yoga Day 2022 उद्गीथ प्राणायाम या यूं कहें तो ओमकारी जप बड़ा ही सरल प्रकार का प्राणायाम और ध्यान अभ्यास है। इसे रोजाना करने से शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ का आनंद मिलता है। इससे मन में आने वाली चिंता भाव, अपराधबोध, नाराजगी, उदासी और भय से भी छुटकारा मिलता है। शरीर में रक्त का संचार ठीक से होने लगता है, इसके कारण व्यक्ति के चेहरे पर एक दिव्य निखार आता है। ध्यान की गहराइयों में उतरने के इच्छुक के लिये अत्यधिक महत्वपूर्ण प्राणायाम है ‘उद्गीथ प्राणायाम’ ।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उद्गीथ प्राणायाम करने की विधि

    माडल हाउस के योगाचार्य रजनीश कुमार कहते हैं कि इस प्राणायाम में आंखें बंद करके गहरा श्वास लेकर ओम का उच्चारण किया जाता है। उद्गीथ प्राणायाम करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। अपने शरीर को ढीला छोड़ दें, शरीर के किसी भी हिस्से में तनाव नहीं होना चाहिए और अपनी पीठ को सीधा रखें। दोनों हाथों की तर्जनी और अंगूठे की नोक को जोड़ें ।

    अपनी आंखें बंद करें और ध्यान केंद्रित करें। प्राणायाम शुरू करने से पहले एक बार सांस लें और छोड़ें। तीन से पांच सेकंड में श्वास को एक लय के साथ अंदर भरना, पवित्र ओम शब्द का विधिवत उच्चारण करते हुए लगभग 15 से 20 सेकंड में श्वास को बाहर छोड़ना है। एक बार उच्चारण पूरा होने पर पुनः इसी प्रकार से अभ्यास करना चाहिए। पांच से सात बार प्रत्येक व्यक्ति को इस प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। असाध्य रोगों से ग्रस्त व ध्यान की गहराई में उतरने के इच्छुक योग साधक पांच से 10 मिनट या इससे भी अधिक समय तक इस प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं।

    इस प्राणायाम का लाभ

    इस प्राणायाम के अभ्यास से नाड़ियों पल्स गति, स्वास-प्रश्वास गति, अमलजन की खपत तथा निरंतर उतपन्न हुए पसीने में कमी आती है। इसका उपयोग तनाव प्रबंधन में भी किया जा सकता है। तनावग्रस्त, निराश, हताश व विक्षिप्त व्यक्ति को इसके अभ्यास से बल मिलता है।

    यह भी पढ़ें - Agnipath Protest: जालंधर में प्रदर्शनकारी गिरफ्तार, लुधियाना में रेलवे स्टेशन पर हंगामा, पंजाब रूट की कई ट्रेनें रद