Baba Sodal Mela 2022: आपातकाल में भी मनाया गया था मेला, 1970 में हुई थी तालाब की कारसेवा
300 सालों से निरंतर मनाया जा रहा है। 1984 के आपातकाल के दौरान भी मेले के आयोजन में रुकावट आने नहीं दी गई। साल 1970 में तालाब के आसपास परिक्रमा के रास्ते को पक्का किया गया और श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर तालाब कारसेवा कमेटी गठित की गई।

शाम सहगल, जालंधर। विश्व विख्यात श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला पिछले 300 सालों से निरंतर मनाया जा रहा है। खास बात यह है कि आपातकाल के दौरान भी मेले में कोई रुकावट पैदा नहीं आने दी गई। लिहाजा राज्य में विपरीत परिस्थितियों के दौरान भी श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला निर्विघ्न मनाया जाता रहा। कारण, साल भर में केवल अनंत चौदस के दिन ही मनाए जाने वाले श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले के दौरान केवल चड्ढा बिरादरी ही नहीं बल्कि विभिन्न धर्म तथा समुदाय के लोग यहां आकर धार्मिक रस्में पूरी करते हैं।
गैर आबाद इलाके में बने मंदिर के क्षेत्र में केवल छोटा सा तालाब व उसके आसपास जंगलनुमा झाड़ियां उगी हुई थी। जिनकी सफाई करवाने के बाद 1970 में तालाब के आसपास परिक्रमा के रास्ते को पक्का किया गया। कारसेवा करवाने के साथ ही यहां पर श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर तालाब कारसेवा कमेटी का गठन किया गया। मंदिर के विकास के साथ ही वर्ष दर वर्ष मेले का दायरा बढ़ता गया।
आपातकाल में बमुश्किल मिली थी इजाजत
श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर तालाब कारसेवा कमेटी के अध्यक्ष यशपाल ठाकुर बताते हैं कि आपातकाल के दौरान श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला मनाया जाना संभव नहीं था। इसके लिए कई रूकावटें सामने आई। लेकिन, उपायुक्त से लेकर डीजीपी तक पहुंच करके मेले के लिए इजाजत ली गई थी। उन्होंने कहा कि 1984 में मेला संपन्न करवाने के लिए प्रशासन के अलावा संस्था के सेवादारों ने भी दिन-रात सेवाएं दी थी।
दशकों से बरकरार है खेत्री की परंपरा
कमेटी के कोषाध्यक्ष मोहिंदर प्रभाकर बताते हैं कि अनंत चौदस के दिन मनाए जाते श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले के साथ घर में खेत्री की बिजाई की परंपरा दशकों से बरकरार है। उन्होंने कहा कि केवल चड्ढा बिरादरी ही नहीं बल्कि यहां पर मन्नतें पूरी होने पर हर धर्म व वर्ग के लोग नवरात्र की तरह घर में खेत्री की बिजाई कर मेले वाले दिन यहां पर पूजन करने के लिए आते हैं।
बाबा के भक्तों के सहयोग से हुआ विकास
श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर तालाब कारसेवा कमेटी के संस्थापक तथा मौजूदा चेयरमैन चमन लाल शर्मा बताते हैं कि श्री सिद्ध बाबा सोढल के प्रति भक्तों की अपार आस्था है । यहां पर जब कार सेवा का काम शुरू किया तो केवल जालंधर ही नहीं बल्कि आसपास के शहरों से भी लोग पूरे उत्साह के साथ सेवा करने पहुंचे थे।
इस बार प्लास्टिक मुक्त होगा मेला
श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर तालाब कारसेवा कमेटी के महासचिव रवि मरवाहा बताते हैं कि धार्मिक स्थानों पर पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में इस बार श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही ऐसा करने वालों को रोका भी जाएगा। इसके लिए प्रशासन से भी गुहार लगाई गई है।
साल भर जरूरतमंदों को दिया जाता है राशन
श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर तालाब कारसेवा कमेटी के उप चेयरमैन व उद्योगपति ओम प्रकाश सप्पल बताते हैं कि कमेटी द्वारा यहां पर केवल बाबा सोढल मेले के दौरान ही सेवाएं नहीं दी जाती बल्कि साल भर गरीब तथा जरूरतमंद परिवारों को कमेटी की तरफ से राशन वितरित किया जाता है। इसके अलावा संक्रांति के दिन सत्संग तथा हवन यज्ञ करके धर्म का प्रचार किया जा रहा है।
कोरोना से पहले विदेशों से भी आते थे श्रद्धालु
संस्था के उपाध्यक्ष अश्वनी शारदा बताते हैं कि 70 के दशक तक श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला केवल आधे दिन का ही होता था। गैर आबाद इलाका होने के चलते लोग दिन ढलने से पहले ही पूजा अर्चना करके घरों को लौट जाते थे लेकिन समय के साथ आबाद हुए इलाके व मंदिर के विकास के बाद अब सप्ताह भर मेला चलता है। जो अनंत चौदस से कई दिन पहले शुरू होने के बाद इसके कई दिन बाद भी जारी रहता है।
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