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    मोदी शासन में 26 हजार किसानों ने की आत्महत्या : सिंघवी

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Sun, 21 May 2017 10:16 AM (IST)

    कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि मोदी शासन में 26 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताया। ...और पढ़ें

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    मोदी शासन में 26 हजार किसानों ने की आत्महत्या : सिंघवी

    जेएनएन, जालंधर। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण पिछले दो सालों में देश भर में 26 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। हर रोज 35 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। ये आरोप कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शनिवार को यहां सर्किट हाउस में संवाददाता सम्मेलन में लगाए।

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    उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में 12062 किसानों ने आत्महत्या की। वर्ष 2016 का सही-सही आंकड़ा तो फिलहाल नहीं मिला, लेकिन यह संख्या 14000 से कम नहीं है। इस दौरान अन्नदाता- मृत्यु का अभिशाप नामक आठ पेज की पुस्तिका कांग्रेस की ओर से जारी करते हुए उन्होंने कहा कि कर्ज में दबे किसानों का कर्ज माफ करने से सरकार इन्कार कर रही है। पूंजीपति मित्रों के एक लाख 54 हजार करोड़ रुपये माफ कर दिए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी केवल छलावा है। सवा करोड़ से अधिक किसानों को कर्ज माफी का कोई फायदा नहीं मिला है।

    मोदी को जुमलों में माहिर बताते हुए सिंघवी ने कहा कि उनकी कथनी व करनी में जमीन-आसमान का फर्क है। पंजाब में चुनाव के समय कांग्रेस के किसानों के कर्ज माफी के वादे को कैप्टन अमङ्क्षरदर सरकार के पूरा न करने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि अमङ्क्षरदर सिंह एक बार पीएम व दो बार वित्त मंत्री से इस बारे में मिल चुके हैं, लेकिन कोई मदद नहीं की जा रही। कांग्रेस किसानों का कर्ज जरूर माफ करेगी।

    ईवीएम को वीवीपैट से जोडऩे के बारे में उन्होंने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया केस में ढ़ाई साल पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करवाने के लिए हमारे दबाव के चलते मशीनों में वीपैट सुविधा मुहैया करवाने के लिए केंद्र ने 4000 करोड़ रुपये हाल ही में जारी किए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पिछले साल अप्रैल से इस साल जनवरी तक सरकार 30 लाख टन से अधिक गेहूं का आयात कर चुकी है, जबकि 2013-14 में कांग्रेस सरकार के समय 55.62 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था।

    उन्होंने कंपनियों और बिचौलियों को फायदा पहुंचाने का आरोप सरकार पर लगाते हुए कहा कि अभी समाप्त हुए वित्त वर्ष के पिछले साल सरकार ने 44 रुपये किलो की दर से दाल आयात की, जबकि घरेलू बाजारों में 230 रुपये किलो की दर से दाल बिकी थी। 2016-17 में 221 लाख टन दाल के बंपर उत्पादन के बावजूद सरकार ने 54 लाख टन दाल के आयात की अनुमति दी।

    उन्होंने आरोप लगाया कि फसल बीमा योजना में भी कंपनियों को 20 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा पहुंचाया गया है। पिछले साल खरीफ फसल सत्र में किसानों से फसल बीमा के रूप में 17,184 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की और किसानों को फसल का 6,808 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया।

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