एसजीपीसी ने बंदी सिखों की रिहाई के लिए पीएम से मांगा समय, पत्र में 9 आतंकियों के नाम
एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा है कि आजीवन कारावास से अधिक की सजा काटने के बावजूद कई सिख कैदी अभी भी देश की जेलों में बंद हैं। सिख उनकी रिहाई चाहते हैं।

जागरण संवाददाता, अमृतसर: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी सात आतंकियों सहित 9 बंदी सिखों की रिहाई के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय मांगा है।
अभी भी देश की जेलों में बंद हैं कई सिख कैदी
उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखा कि आजीवन कारावास से अधिक की सजा काटने के बावजूद कई सिख कैदी अभी भी देश की जेलों में बंद हैं। सिख उनकी रिहाई चाहते हैं। अहम बात यह है कि पत्र में लंबी सजा काटने के बाद भी रिहाई का इंतजार कर रहे जिन 9 सिख कैदियों का जिक्र किया गया है, उसमें आतंकी जगतार सिंह हवारा, लखविंदर सिंह लक्खा, गुरमीत सिंह, शमशेर सिंह, परमजीत सिंह भ्योरा व जगतार सिंह तारा का नाम है।
पत्र में बलवंत सिंह राजोआणा का नाम भी शामिल
इन सभी को 1993 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोष में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा पत्र में बलवंत सिंह राजोआणा का नाम भी है। उसे भी 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। अभी इसकी दया याचिका लगी हुई है।
बता दें कि, 1990 में दिल्ली और कर्नाटक बम धमाके के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गुरदीप सिंह खैरा टाडा और आतंकी प्रो. दविंदरपाल सिंह भुल्लर के नाम का भी जिक्र है। भुल्लर ने 1995 में आल इंडिया आतंकवाद विरोधी फ्रंट के चेयरमैन मनिंदर जीत सिंह बिट्टा को मारने की नीयत से बम धमाका किया। इसमें 9 लोगों की मौत हुई थी। कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
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