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    Sawan 2022: श्रीराम के अनुज भरत को अत्यंत प्रिय था काठगढ़ का ये प्राचीन शिव मंदिर, जानिए क्या है इसका पूरा इतिहास

    By DeepikaEdited By:
    Updated: Thu, 11 Aug 2022 09:49 AM (IST)

    पौराणिक मान्यताओं अनुसार काठगढ़ मंदिर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के अनुज भरत को अत्यंत प्रिय था। यही नहीं इसको इनकी अराध्य स्थली भी कहा जाता था। कहा जाता है कि भरत जी जब भी अपने ननिहाल कैकेय देश जाते तो इस मंदिर के जरूर दर्शन करते।

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    Sawan 2022: प्राचीन शिव मंदिर काठगढ़। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, काठगढ़। Sawan 2022: प्राचीन शिव मंदिर काठगढ़ भक्तों की श्रद्धा व आस्था का केंद्र है। हजारों लोग दूर दराज से इस पावन स्थान के दर्शनों के लिए आते हैं। यहां सुबह ही भक्तों का तांता लग जाता है। देर सायंकाल तक भक्त माथा टेकने और दर्शनों के लिए आते रहते हैं। विभिन्न अवसरों व पर्वाें पर विशाल आयोजन यहां पर होते हैं। परिसर में शिवलिंग आकर्षण का केंद्र है। शिव रात्रि पर यहां एक मेला आयोजित होता है।

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    मंदिर का इतिहास

    पौराणिक मान्यताओं अनुसार काठगढ़ मंदिर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के अनुज भरत को अत्यंत प्रिय था। यही नहीं इसको इनकी अराध्य स्थली भी कहा जाता था। कहा जाता है कि भरत जी जब भी अपने ननिहाल कैकेय देश जाते तो इस मंदिर के जरूर दर्शन करते। वहीं यूनानी शासक सिकंदर ने मंदिर निर्माण करवाया था।

    उसने चमत्कार से प्रभावित होकर टीले को समतल करवाया। वहीं महाराज रणजीत सिंह को भी यह धाम अत्यंत प्रिय था। उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान इस मंदिर का विस्तार करवाया। अब मंदिर कमेटी ने तो इस पावन स्थान की पूरी कायाकल्प करके और अधिक दर्शनीय बना डाला है।

    मंदिर की विशेषता

    काठगढ़ मंदिर का इतिहास काफी रहस्यमय है। इसमें स्थापित शिवलिंग दुनिया का पहला ऐसा शिवलिंग है, जो दो भागों में विभाजित है। एक भाग को शिव व दूसरे को माता पार्वती के रूप में माना जाता है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग अरूटकोणिय है। शिव के रूप में पूजे जाने वाले शिवलिंग की ऊंचाई आठ फीट है।

    वहीं मां पार्वती की उंचाई छह फुट है। इसको अर्धनारीश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है। यूं तो शिवलिंग दो भागों में अलग-अलग रहते हैं, लेकिन सर्दी के मौसम में यह दोनों करीब आ जाते हैं। यह कैसे होता है इसके बारे में यही कहा जाता है कि यह ग्रहों की स्थिति के अनुसार पास और दूर होते हैं।

    रुद्राभिषेक से मन को शांति मिलती है। सावन में इस का महत्व और भी बढ़ जाता है। पुरातन समय से ही सावन मास में रुद्राभिषेक की अलग महिमा है। हजारों लोग समय-समय पर ऐसे आयोजनों में भाग लेकर अपने जीवन को उन्नत बनाते हैं। भोले शंकर वैसे ही दयालु हैं। वह भक्तों के पूजन व भक्ति से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। -सुतीक्षण ठाकुर

    सावन महीने का विशेष महत्व है। यह महीना कल्याण का है। इस महीने की गई शिव पूजा से भोले बाबा जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। भक्त भी अपने कल्याण के लिए समय का सदुपयोग करते हैं। भोले बाबा कल्याणकारी व भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। सभी को अपने कल्याण के लिए इस समय का सदुपयोग करना चाहिए और सावन माह के महीने भगवान शिव की अराधना करनी चाहिए। -नरेंद्र सिंह काटल

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