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    पंजाबी कवि डा. सुरजीत पातर बोले; कविता में लफ्जों का इस्तेमाल संजीदगी से करें, ये कई राज छिपाते और खोलते हैं

    By Jagran NewsEdited By: Pankaj Dwivedi
    Updated: Wed, 12 Oct 2022 04:20 PM (IST)

    डा. सुरजीत पातर को पंजाबी कविता का युग पुरुष माना जाता है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार बचपन में ही पिता के विदेश जाने पर मां की उदासी देख उन्होंने कविता लिखनी शुरू की। डा. पातर ने विद्यार्थियों को लफ्जों की महत्ता भी समझाई।

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    एपीजे कालेज आफ फाइन आर्ट्स में संबोधित करते हुए पंजाब कवि पद्मश्री डा. सुरजीत पातर।

    जासं, जालंधर। कविता में लफ्जों का इस्तेमाल बड़ी संजीदगी से होना चाहिए क्योंकि यह कई राज खोलते और छिपाते भी हैं। कुछ इस तरह पद्मश्री डा. सुरजीत पातर ने अपने विचार रखते हुए विद्यार्थियों को सकारात्मकता और लफ्जों की महत्ता बताई। वे एपीजे कालेज आफ फाइन आर्ट्स में पंजाबी विभाग की तरफ से आयोजित संगोष्ठी में विद्यार्थियों से रूबरू हो रहे थे।

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    उन्होंने कहा कि बचपन में ही घर की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पिता को विदेश जाना पड़ा। मां की चेहरे की उदासी मुझे अंदर तक विचलित कर देती थी। तभी से मैंने थोड़ी बहुत कविता करना शुरू कर दिया था। उसके साथ ही साथ कहावतें और लोक कथाएं मेरी कविता के लिए प्रेरणा बनी। उन्होंने बताया कि उनकी हर कविता के पीछे कोई न कोई गहरा अनुभव जुड़ा हुआ है। उन्होंने विद्यार्थियों को अपनी नज्में गाकर भी सुनाई और विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए।

    एपीजे कालेज आफ फाइन आर्ट्स में पंजाब कवि डा. सुरजीत पातर के विचार सुनते हुए स्टाफ और विद्यार्थी।

    लायलपुर खालसा कालेज में पंजाबी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. गोपाल सिंह बुट्टर ने कहा कि डा. सुरजीत पातर युग कवि है जिसको न केवल पंजाब, भारत बल्कि पूरा विश्व मानता है। दोआबा कालेज के पंजाबी विभाग के अध्यक्ष डा. ओमिंदर सिंह जोहल ने कहा कि सुरजीत पातर शब्दों की सामर्थ्य के कवि हैं और आज वह आदर्श के रूप में हमारे सामने उपस्थित हैं। एपीजे कालेज के पंजाबी विभाग के अध्यक्ष संदीप सिंह ने डा. सुरजीत पातर के जीवन से संबंधित डाक्यूमेंटरी प्रस्तुत कर उन पर लिखी हुई अपनी नज्म प्रस्तुत की।

    इस अवसर पर पंजाबी विभाग की ओर से करवाई गई विभिन्न प्रतियोगिताओं पोट्रेट मेकिंग, कैलिग्राफी व कविता लेखन में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों सम्मानित किया गया। डा. अमिता मिश्रा, विवेक वर्मा के निर्देशन में संगीत विभाग के विद्यार्थी शिवम ने लोक गीत गाकर सभी को आकर्षित किया। पंजाबी विभाग की प्राध्यापिका लवप्रीत कौर ने मंच का संचालन किया। प्रिंसिपल डा. नीरजा ढींगरा ने सभी का स्वागत किया।

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